Book Title: Kayvanna Shethno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 53
________________ (५२) ॥ ढाल बावीशमी ॥राग सोरठ ॥ निश्डी वैरण दुइ रही ॥ए देशी ॥ ॥ एक दिन मनमा चिंतवे, मंत्री पासे हो कयव नो शाह के ॥ देखो पापिणी मोसली, मुने काढयो दो राखी घर मांह के ॥१॥ अनयकुमर बुदिया गलो, बुदें जीत्या हो दाणवनें देव के ॥ माणस केहे मात्रमा, बुद्धि तूनी हो सही सरसती देव के॥यन ॥ ॥ बुद्धि बलें राज्य नोगवे, सदु शंके हो राणाने राय के । बुद्धियें सुरगुरु सारिखो, बु अमृत हो रसदूजणी गाय के ॥ अन॥३॥शाह जाणी मं त्रीनणी, कही वीतक हो सघली ते वात के॥ मंत्री सर बुद्धि केलवी, कीयो देवल हो धवलरंग नांत के॥ ॥अन॥४॥ चित्रामें थति चीतस्यो,नाम चरमुख हो कीधो मन कोड के ॥ मूरति मांझी यहनी, रूपें रूडी हो कयवन्ना जोड के ॥धन ॥ ५॥ नगर ढंढेरो फेरीयो, ए जागतो हो यह देव प्रत्यक्ष के॥ पूजो परचो एहनें, रोग टाचे हो लइ नोग समद के॥अन॥६॥ कयवन्नो मंत्रीसरू, बेद्ध उना हो मंझप मनरंग के ॥ नगरीनी नारी चली,टोलें टो लें हो ले सुतने संग के ॥बन० ॥ ७ ॥ बोरू था Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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