Book Title: Kayvanna Shethno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

View full book text
Previous | Next

Page 51
________________ (५०) ए वड शाह ॥ परीयागत लखमी घणी, नागो तोही वराह ॥ ७॥ जाग्यु नाग्य वली तेद, तूने श्रेणिक राय ॥परणावे निज पुत्रिका,नखं लगन जोवराय॥॥ ॥ ढाल एकवीशमी ॥ उनहो कृष्ण उल्लही राधिका ॥ ए देशी अथवा ॥ सोहलानी देशी ॥ ॥ रंग नरी रंग नरी परणे दो रायनी कुंवरी जी, धन्य कयवन्नो शाह ॥ वरनें वरनें कन्या हो इथलेवो मल्यो जी, बैठां चोरी मांह ॥ रंग ॥१॥ धवल ध वल गावे हो नारी गोरडी जी,वाजे मंगल तर ॥ जा नीवड जानीवड मानी सघला मल्या जी, प्रगटयो आनंद पूर ॥रंगण॥२॥ वींदने वींदने वींदणी बेहडा बांधीयाजी, जाणे कीधो बंध एह ॥ ढुं ताहारी हुँ ता हारीने वली तुं माहरोजी,जीव एक जूदी देह ॥रंग ॥३॥ रंगरस रंगरस चोधु मंगल वरतीयुं जी, कन्या फरी वर केडि ॥ वरनें वरने पूठे परठे कामिनी जी, वसती दुवे नावें वेडि ॥रंग॥४॥ दायजो दायजो दीधो घोडा हाथीया जी,वली दीधां गाम हजार ॥ पंचरंग पंचरंग वाघा हो मुकुट शोहामणा जी, कुंमल हार शिंगार रंगायाजोजन नोजन जति हो जिमण Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82