Book Title: Kayvanna Shethno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 44
________________ (४३) मेल नहीं दायें पगें रे, मील न लागी खेद ॥ रंग०॥ मारग खेह दीसे नही रे, चलके फलके देह ॥ रंग ॥ ॥ ५ ॥ धवला खंध बग पारख ज्युं रे, चोखा हीरने चीर ॥ रंग ॥ जाणे रह्यो रंग मेहेलमें रे, खाधी खमने खीर ॥ रंग ॥ ६॥ ताजां पान धारोगीयां रे, राता दांतने होत ॥ रंग ॥ सुंधे नीनो साहेबो रे, जाणे न गयो गाम गोठ ॥ रंग ॥ ७ ॥ पूजे पद मिपी वालहा रे, कांच उडी थाव्या बाकाश ॥ ॥ रंग ॥ के बेसी याव्या विमानमें रे, के बेसीरह्या थावास ॥ रंग ॥ ७ ॥ पाडो उत्तर ये नहीं रे, बदा तने मुह पोल ॥ रंग ॥ हुंदुहुँ कहे गुंग ज्युं रे, मु खें न बोल बोल ॥ रंग०॥ ए॥ दुदु वाणी पण त हां रे, मीती लागे शख ॥ रंग ॥ गुंगो बेटो बापनें रे, बाप कहे ते लाख ॥ रंग ॥ १० ॥ पूरव पुण्य तणे उदें रे, तूटया करम अंतराय ॥ रंग॥ सत्तरमी ढाल जयतसी रे, राग मलार कहाय ॥ रंग॥११॥ ॥दोहा॥ ॥ चालो घर घरणी कहे, काल्या संबल सेज ॥ धणी धणीयाणी सुत मली, याव्यां घर घरों हेज Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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