Book Title: Kayvanna Shethno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 48
________________ (४७) डी उषधी रे, सिदि साधक मंत्र तंत्र रे॥याज ॥ ॥५॥ खलक मल्या लोक हल किनें रे,एक शूरा एक वीर रे॥पए नवि चाले जोरो केहनो रे, सदु नना रह्या तीर रे॥था०॥६॥लाख उपाय करीलोनी या रे, केलवे हकुमत कोडि रे॥ कोडि मनावे देवी देवता रे,पण फिका पडचा मुख मोडि रे ॥धा॥७॥ राजमंमण गजराज ने रे, श्रेणिक करे दुःख सोर रे॥ कोइ सनूरो पूरो पुस्यनो रे,हाथीबोडावे जोर रे ॥धान॥ ऐरावणनो साथी हाथीयो रे, उत्तम जा ति सुविनीत रे ॥ राज्य निःफल इण बाहिरो रे, श्रे णिक दूरी सचिंत रे॥या०॥ ए॥दाय नपाय बुद्धि केलवे रे, मली मंत्रीने नपाल रे॥इणि परें नारखी उगणीशमी रे, जयरंग ढाल रसाल रे ॥धा०॥१०॥ ॥दोहा॥ ॥ कंदोई पडहो सुणी, मनमा करे विचार ॥ धू श्रा फुका कुण करे, लालच लोन अपार ॥१॥ ॥ ढाल वीशमी ॥राग खनाती॥शोहेलानी देशी॥ ॥ कंदोई पडेहो बिन्यो रे,रतन थमूलक पासो रे, राज शदि सुख जोगवं रे, मनमा महोटी धाशो रे ॥ १॥ तोरे कोडले पर| राय कुंवरी रे, नली ना Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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