Book Title: Kayvanna Shethno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 38
________________ (३७) म सयुं सुख वीसह्यु, हवे क्युं देखाडो काख ॥ सा० ॥ वढू० ॥३॥ लाज रही लखमी रही, बेटा दूधा वली चार ॥ सा०॥ किरतार तूगे ए दीयो, ना ग्य वडे जरतार ॥ सा ॥ बहू ॥३॥ हवे तो एहने डोडता, न बने काई वात ॥ सा० ॥ नेह न बूटे जीव ता, नीनी साते धात ॥ सा० ॥ वर्॥५॥ण वि ए ए घर कारिमुं, यूनुं जाण मसाण ॥सा॥ इण विण म्हें पण कारमी, गुण विण लाल कबाण ॥सा० ॥ वद ॥ ६ ॥ खाणां पीणां पहेरणां,काजल तिलक तंबोल ॥ सा ॥ इण विण सहु अलखाम णां, लागे विसरे तोल ॥ सा०॥ वर्॥ ७॥ एह ध णी माहारे इण नवें, सो बोलें एक बोल ॥ सा॥ थे साचो करी जाणजो, कहां बी वाजते ढोल ॥ सा ॥वढू॥॥ जोर वहे ते मोकरी, तडकी नडकी बोले वटी ॥ वढूजी॥ रहो रहो आपणी लाजमां, काढीश गंगो कूटी ॥वावहू॥॥ घर माहरु धन माहीं, थाथ नहुँति इण साथ ॥व०॥ ए कुण हुँ कुण श्यो हवे, दारी नरडे साथ ॥व०॥वर्॥१०॥ जार फीटी दूळ घर धणी, विलसे लील विलास ॥व॥ पण बत बल काढो बाहरो, याश करूं खास पास ॥ व०॥ व Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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