Book Title: Kayvanna Shethno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 36
________________ (३५) विसरी गई वांसली रे, हिंचे हिंमोला खाटो॥ हिंचे हिंमोला खाट रे रूडी, नाग्यनी वात न कांऽ कूडी॥ चारे नारी रहे सजूडी, बाहें खलके सोवनचूडी ॥ जी०॥ १३ ॥ पति नक्ति चारे जणी रे, चारे मोहन वेलो॥ चारे बेठी नादा रे,रमे सारी पासा खेलो॥ रमे सारी पासा खेल रे नेला, मांहो मांदि होइस मेला॥ चूआ चंदन तेल फूलेला, शोल सिणगार ब नावे वेला ॥ जी०॥ १५ ॥ चारे बेटा चिहुनें दूया रे, बार वरस घर वासो॥ हवे स्वारथ सखो मोकरी रे, जूवो करे तमासो ॥ जूवो करे तमासो रे गा ढो, कहे वहूरोने ए नर काढो ॥ बेटे थये कलंक म चाढो, ज्यु मुज होवे दियडी टाढो ॥ जी० ॥१५॥ दोहा ॥ निज स्वारथके कारणे, कूदे वाड कुरंग ॥रस कस लै त्यागे तुरत, ए निर्गुणके अंग ॥ १ ॥ ढाल पूर्वली ॥ वदूधांशु लडे सासती रे,नाम ज्युं लाज न सांखो ॥ विलगे जाणे नाहरी रे, रातडी करि करि यांखो ॥ रातडी करि करि बाखो रे मोटी, मनमा खोटी सोटी जोटी॥ पावे न किरणने पाणी लोटी,न दीये किणने रोटी दोटी ॥जी॥१६॥ खावे न पीवे लोनणी रे, खरच न विरच लगारो॥मत आवे एद Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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