Book Title: Kayvanna Shethno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 26
________________ ( १५ ) ॥ ६ ॥ रंगमां मीठो रुपयो, जाणे दूधमां हे सखि साकर खके ॥ पी० ॥ खलीयां गलीयां पूग्लां, हसी बोल्या हे सखि मधुरी जाप के ॥ पी० ॥ ७ ॥ साजन सहु यावी मल्या, हुने हर्षित हे सखि कुटुंब पार के ॥ पी० ॥ बांध्यां तोरण बारणें, शोना वधी हे सखि नगर मकार के ॥ पी० ॥ ८ ॥ मनवंडित सुख जो गवे, दीये दानने हे सखि खादर मान के ॥ पी० ॥ गह मह घर वसती हूइ, घर शोहे हे सखि पुरुष प्र धान के पीएम जयश्री शील शोना नली, गुण गावे हे सखि सहु नर नार के ॥ पी० ॥ दशमी ढाल कही जयतसी, शीन सरिखुं हे सखि को न संसार के ॥ पी० ॥ १० ॥ ॥ दोहा ॥ ॥ जयश्री सम नारी न का, कयवन्नो जरतार ॥ जोडी बिहुं सरखी जुडी, तूगे श्रीकिरतार ॥ १ ॥ हवें वेश्यानी दीकरी, लडी थक्का घर बोडि ॥ यावी वर घर पूछती हूइ जयश्रीनी जोडि ॥ २॥ बिंदु नारी सरखी जुडी, वधतो प्रेम सनेह ॥ कयवन्नो सोनागीयो, लो क कहे धन्य एह ॥ ३ ॥ यांख बिंदु सम नारि बे, माने चतुर सुजाण ॥ पण हाल हुकुम जयश्री तणो, Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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