Book Title: Kayvanna Shethno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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( ३० )
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जी, जिम सो तिम पंचास ॥ वहे || २ || देव गुरु स्मरण करी शासतोजी, जिनधर्म मनमां धार ॥ विच विच मुने पण चितारजो जी, मत मूको वीसार ॥ वहे ० ॥ ॥ ३ ॥ कुशलें खेमें वहेला यावजो जी, धन खाटी सुविचार ॥ थें मुज जीवन में मुज खातमाजी, येँ मु ज प्राण आधार ॥ हे० ॥ ४ ॥ धन्य बेलाने धन्य वली ते घडीजी, धन्य दिन धन्य ते मास ॥ नयणें दरिसण, थांरो देखशुंजी, ते दिन फलशे मुज खाश ॥ वहे ० ॥ ॥ ५ ॥ वली अवधारों मुज विनतीजी, ढुं पतिनक्ति नारी ॥ जिमण जूग्ण वेला यांहरीजी, हुं जी मिश निरधार ॥ वहे० ॥ ६ ॥ हेजें देशो दायें घावीने रे, तेवारें खाशुं पान ॥ चूखा चंदन परिमन थां मल्यां जी, मेवा विगय पकवान ॥ वहे० ॥ ७ ॥ देवगुरु वां दीश प्रहसमे सासतीजी, देहरे घृत दीवेज ॥ तप जप यांबित नीवी एकास एणांजी, धर्में दुवे प्रिय मेल ॥ वहे || गौरी समरे दर रति कामनेंजी, रुक्मिणी समरे कान ॥ चकवी चकवो राम सीता मनेंजी, तिम मुज मन स्वामी ध्यान ॥ वदे॥ ए ॥ मेघ तणी परें नमी यांदरीजी, हुं जोबुं बुं वाट ॥ जनुं थावे मुनें यांहरीजी, घरें यावजो धन खाट ॥ वदे० ॥ १० ॥
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