Book Title: Kayvanna Shethno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

View full book text
Previous | Next

Page 16
________________ रुंखा रे लाल, जिम कागलगुं चीत ॥९॥ मा० ॥ ॥ ॥ करतार जरतार ए सही रे लाल, न रहे इण विण जीव ॥सु०॥ बोडुं नहीं हुँ जीवती रे लाल,सा चो रंग सदीव ॥ सुमागाणा एक दिन जो अलगो रहे रे लाल,तो नयणें नावे नींद ॥सु०॥ कूड कढुं तो बाखडी रे लाल,दू वींदणीएवींद ॥सु०॥मा ॥१०॥ रहे रहे बानी बोकरी रे लाल,मोकरी बोले एह ॥९॥ नाचणरो किशोराचणो रे लाल, ज्या लागो त्या नेह ॥ सु०॥मा०॥ ११ ॥रीश त्रिशूलो चाढीयो रे लाल, करी यांख्यां राती चोल ॥ सु०॥ गालो राम बोले घ गी रे लाल, जाणे फूटो ढोल ॥सुगमा०॥१॥ मो सो पोसी पापिए। रेलाल,न चले बेटी जोर ॥सु०॥ बुड बुड बुड बुड बोलती रे लाल, सुखणी मांमयो सोर ॥सुआमा०॥१३॥ कयवन्ना नपरें हवे रेलाल, करे तोबारण.गेर ॥ सु०॥ बेटी रोवे देखीने रे लाल, ज्युं पग देखी मोर ॥सुमा०॥ १५ ॥ रूती कूती जेहवी रे लाल, खूती लोन लबक ॥सु॥ य का उबलका यागती रेलाल, करे तडक भडक । सुमा॥१॥ पापिणी सापणीज्यं उबले रेलाल, लागुंजाणे नूत॥सु०॥ कहे पडयो रहे घेरमें रेलाल, Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82