Book Title: Kayvanna Shethno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 21
________________ (२०) कह्या जे बोलडा ॥ सु०॥ सू०॥ तें लोपी कुलकार होरे हां, लेहेणाथी देणे पडी ॥ सु॥॥ सू ॥ तें पांचारी साख होरे हां, हुँ परणी दुती जोइनें ।सु०॥ सू॥ तजीन अवगुण दाख होरे हां,कलंक चढाव्यां मेहणां ॥ सु॥१॥सू०॥ में तुजने जरतार होरे हां, कल्पतरु ज्युं यादयो ।।मु०॥ सू॥ आक एरंम अनु सार होरे हां, उचो नीच परें नीवडयो ॥ सु॥११॥ सू॥ गांठे बांध्यो ताण होरे हां,रतन अमूलख जा णीने ॥ सु०॥ सू०॥ पण दु पर जाण होरे हां, पाच दून काच सारिखो।सुरशासू०॥ हंस दून जाणे काग होरे हां, सोनो शीसो निवडयो ॥ सुगा सू॥ वेश्यागुं करि राग होरे हां, नाम गमायो बाप रो सु०॥१३॥सू॥ कां सरजी किरतार होरें हां, कंत विदणी कामिनी ॥ सु०॥ सू० ॥ खिणी कोई को नारी होरे हां, पण सघली मो पढ़ें ॥सु॥ ॥१४॥ सू॥ किएने दीजें दोष होरे हां,घाट कमाइ थापणी ॥४०॥ सू०॥ केहो करुं अपशोष दोरे हां, लहिणुं लाने थापणुं ॥ सु० ॥ १५ ॥ ॥दोहा॥ वालम तणो विडोह,किरतार तुं कदि नां जशे॥कहे नें कदी संयोग,करशे ते निरणय कहो॥१॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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