Book Title: Kayvanna Shethno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 19
________________ (१७) रे लाल, नली न कीधी वात ॥सुमा०॥२६॥ इम चिंतवतोयावीयो रे लाल,निजघर बार कुमार ॥सु॥ शिर धूणी सोचे घj रे लाल, जोतो पोति प्रकार ॥सुआमा॥७॥ पडया पली पण पाधरो रे लाल, चाले चतुर सुजाण ॥सु०॥ व्यसन साते तजो सातमी रे लाल, ढालें जयतसी वाण सु०॥मा० ॥२०॥ . . ॥दोहा॥ ॥धणी विदूणां धवल घर, ढह दूथा ढम ढेर ॥ दू आमण दूमणो, देखि देखि चन फेर ॥ १॥ जि ण घरमें वत्ती दीसता, जाजां दासी दास ॥ गह मह शोना वगइ, देखी दू उदास ॥ २ ॥ “यतः॥जिए के खंधे कूदते, करते लाड हजार ॥ लाडणहारे रह गए, गये लडावणहार ॥३॥" हवे एकांतें बारणे, उ नो रही अमोल ॥ कुंअर कानें सांजले, निजनारीना बोल ॥४॥ कहे कामिनीसूडाजणी, ऊन ऊठ प्रना त॥ रंग रंगीला सूअडा, सुण सुण मोरी वात ॥५॥ ॥ ढाल बाग्मी॥राग गोडी, सोरत मिश्रा सुवडानी देशीमां ॥ ॥सुण सुण सूवटीया, सूवटीया नाई॥तुंबे चतुर सुजाण होरेहां,रूप रूडं रंलीयाम[सुसू०॥ मीठी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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