Book Title: Kayvanna Shethno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 20
________________ ___ (१ए) तोरी वाणि होरे हां, बोले जीनडी पडवड़ा सु॥१॥ ॥सू०॥ नीली थारी पांख होरे हां, चांच राती तीखी ताहरी ॥९॥सू०॥ रुडी थारी आंख होरे हां, राती माती रंग वाटली ॥सु॥शासू॥ सोने मढा ताहरी चांच होरे हां, दूधे पखा ताहरी पांख ॥९॥सू॥ तुने बिना हाथ होरे हां,विनतडी सुण माहरी|सु०॥ ॥३॥सू॥ मानीश तुज नपगार होरे हां,जाये जिहां पियु माहरो॥९॥सू०॥ उडे पांख पसारी होरे हां,म करे ढील तुं मारगें।सु०॥॥सू.०॥ कहेजे मुज संदेश होरे हां अबला तुज घर एकली।सुासू॥ विर हिं गीने वेश होरे हां, फुरी फुरी जंखर नंखरी ॥ सु॥ ॥५॥ सूतजीयां तेज तंबोल होरे हां,खानां पीनां खेलगां ॥॥॥ बांच्या अंग रंगरोन होरे हां, पीठी अंजए मंजणां॥ सु०॥६॥ सू०॥ तोडया हीर चीर हार होरे हां, लागे शणगार अंगार सारिखा ॥ सु० ॥ सू॥ विरहा करवत धार होरे हां, रस कस खारा विष दुथा ॥ सु० ॥॥ सू॥ सूवे नहीं सुख सेज होरे हां, नयणें नावे नींदडी।मु० ॥ सू० ॥ धरती पीयुगुं हेज होरे हां, ऊख धरती धरती सूवे॥ सु॥॥॥ वली कहेजे तुज नारी होरे हां, तुमने Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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