Book Title: Kayvanna Shethno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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(११)
॥ दोहा ॥ ॥ दासी उदासीन मन, वात कहे घर आय ॥ कु मर वेश्यायें नोलव्यो, धावण वात न कांय ॥ १ ॥ वात सुणी माता हवे,करे विविध विलाप ॥ बाप क माया कम्मडा, करे घणो पश्चात्ताप ॥ २॥ ॥ ढाल नही॥राग देशाख, घरें यावो मन
मोहनां दो धोटा ॥ए देशी॥ ॥ तुं जीवन तुं यातमा हो बेटा, तुं मुज प्राण थाधार बेटा ॥ सास तणी परें सानरे हो बेटा, तुं वसे हियडा नार बेटा ॥१॥ घरें श्रावो रे मन मोहन बेटा॥ एयांकणी॥तिलजर जीव रहे नहीं बेटा, किम जावे जमवार बेटा॥ एकरसो आव यांगणे बेटा, कर माय डीनी सार बेटा ॥घरें॥२॥तुं मुज यांधा लाकडी बेटा, कालेजानी कोर बेटा ॥ यांत्रचूहण तुं माहरे बेटा, किम होये कठिण कठोर बेटा ॥ घरें ॥३॥ कुण क हेशे मुंज मायडी बेटा, कुणने कहीमु पूत बेटा ॥ एकें जाया बाहिरो बेटा, नवि रहे घरनुं सूत बेटा॥ घरें ॥ ४ ॥ तुं पुत्त नोजननें समे बेटा, हीयडे बेसे थाय बेटा ॥ जो माता करी लेखवे बेटा, तो घर बाय वसाय बेटा ॥ घरें॥५॥ साले साल तणी परें बेटा,
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