Book Title: Kayvanna Shethno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 11
________________ (१०) त्त होकय०॥ कयवन्नो वेश्या घरें हो लाल, मोह। रह्यो धरी प्रीत हो ॥कय॥३॥ दासी निजघर मूकी ने हो लाल, अणावे धन कोडी हो ॥कय॥ मनवंडि त लीला करे हो लाल, ए बिहुँ सरखी जोडी हो । कय० ॥४॥ घर कुटुंब सदु वीसयां हो लाल, परणी मूकीवीसार हो ॥कय॥ मावित्र मूक्यां बापणां हो लाल,धिधिग् काम विकार हो ॥ कय॥५॥ खाणां पीणां खेला होलाल, रंग रातां धन जोडि हो । कया मावित्र तमु धन मोकले हो लाल, वरसां व रस एक कोडि हो ॥ कय० ॥६॥ बार वरस वोठ्या तिकें दो लाल, मावित्रं करी नेह हो ।कय॥ दासी मेली सुत तेडवा हो लाल, श्रावो पापणे गेह हो । कयामावित्र इयां मोसला हो लाल, करो घर घरणीनी सार हो॥ कय० ॥ कयवन्नो माने नहीं हो लाल, दासी पानी गइ हार हो ॥कय॥॥ वेश्यागुं रातो रहे हो लाल,जिम नमरो वनराजि हो ॥कय॥ बोडयां मावित्र आपणां हो लाल,डोडयां सदु लाज का ज हो॥कय॥ए॥ ब्रूमा ते नर बापडा हो लाल,जे करे वेश्यागुं रंग हो।कया पांचमी ढाल वेश्या त जो हो लाल, जिम पामो जयरंग हो ।कया ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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