Book Title: Kayvanna Shethno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 8
________________ बोल, शेवगणी सांजली ॥ सा॥शेठ नणी कहे वा त, के फुःखनर थाकुलीसा॥१४॥ करो कोइ दाय उपाय, ज्युं सुःख दूरे दुवे ॥ सा०॥ बाज लगें नोलो ए, वहूने उहवे ॥सा॥१५॥ बोले शेत विमास, व्य सन कोण शीखवे ॥ सा॥ ए अशीखी वात, स हनें संनवे ॥ सा ॥१६॥ कुण शिखवे गति हंस,न मर जोगी नला॥सा० ॥ मोर पीड चित्राम, चोर . चोरीकला ॥ सा॥१७॥ सुगीने शेठनी वाणी, रीशाणी सुंदरी॥ सा०॥ जयतसी त्रीजी ढाल, कही ए बंदरी॥सा० ॥१७॥ ॥दोहा॥ ॥ वयण घणां शेजें कह्यां, पण समजे नहीं ना र ॥हत जाले नारी जिको, नवि मूके निरधार ॥१॥ नट विट लंपट लालची, जूआरीने लडाक ।। व्यसनी तेड्या धनदत्त, जेह चढावे चाक ॥२॥ मोहवशे ध नदत्त नणे, कयवन्नो सुकुमाल ॥ माल घणो लश्शी खवो, व्यसन कला ततकाल ॥३॥ ॥ढाल चोथी॥ राग केदारो॥ नदी यमुनाके तीर, उडे दोय पंखीयां ॥ए देशी॥ ॥ कुमर पासें रहे बाय के, दिनने रातडी ॥ व्य Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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