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तीनों ही सम्पादकों का अकादमी की योजना को भाशीर्वाद प्राप्त है तथा समय-समय पर उनसे सम्पादन के प्रतिसिसच्या जिन में सहयोग मिलता रहा है।
सम्पादन के लिए पाण्टुलिपियां उपलब्ध कराने में श्रीमान् केशरीलाल जी गंगवाल युदी का मैं पूर्ण प्राभारी हूँ। जिन्होंने नागदी मन्दिर बूदी का गुटका उपलब्ध कराकर ब्रह्म बूचराज की अधिकांश रचनामों के सम्पादन से पूर्ण सहयोग दिया। इसी तरह श्री लूगाकरण जी पाण्ड्या के मन्दिर के शास्त्र भण्डार के व्यवस्थापक श्री मिलापचन्द जी बागायत वाले, शास्त्र भण्डार दि० जैन मन्दिर तेरहपन्धी के व्यवस्थापक श्री प्रेमचन्द जी सोगानी, शास्त्र भण्डार मन्दिर गोधान के व्यवस्थापक श्री राजमल जी संधी तथा पास्त्र भण्डार दि. जैन मन्दिर पाटोदियान के व्यवस्थापक श्री भंवरलाल जी बज तथा शास्त्र भण्डार पाश्वनाथ दि. जैन मन्दिर के व्यवस्थापक श्री अनूपचन्द जी दीवान का मैं पूर्ण झामारी हूँ जिन्होंने पाण्डुलिपिर्या उपलब्ध करवाकर उसके सम्पादन एवं प्रकाशन में योग दिया है। अजमेर के भट्टारकीय मन्दिर के श्री माणकचन्द जी सोगानी एडवोकेट का भी में पूर्ण रूप से पाभारी हूँ जिन्होंने मजमेर के भट्टारकीय भण्डार से मन्य उपलब्ध कराये ।
में श्रीमती कोकिला सेठी एम० ए० रिसर्च स्कालर का, जिन्होंने प्रस्तुत पुस्तक की 'शब्दानुक्रमणिका तैयार की, पाभारी है। अन्त में मनोज प्रिंटर्स के व्यवस्थापक श्री रमेशचन्द जी जैन का प्राभारी हूँ जिन्होंने पुस्तक की प्रत्यन्त सुन्दर ढंग से छपाई की है।
डा० कस्तुरचन्द कासलीवाल