Book Title: Kasaypahudam Part 08
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh

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Page 10
________________ विषय २३१ २७२ २३८ २७३ पृष्ठ | विषय पृष्ठ एक जीवकी अपेक्षा काल | अद्धाच्छेदके दो भेद २६३ एक जीवकी अपेक्षा अन्तर उत्कृष्ट अद्धाच्छेद नाना जवोंकी अपेक्षा भंगविचय २३२ जघन्य अद्धाच्छेद २६३ भागाभाग २३२ सर्व अनुयोगद्वारसे लेकर अजघन्य परिमाण २३३ अनुयोगद्वार तक अनुयोगद्वारोंको क्षेत्र २३३ | स्थितिविभक्तिके समान जाननेकी सूचना २६४ स्पर्शन २३३ | सदि, अनादि, ध्रुव और अध्रुव अनुनाना जीवोंकी अपेक्षा काल २३४ . योगद्वारोंकी प्ररूपणा २६४ नाना जीवोंकी अपेक्षा अन्तर २३५ स्वामित्वके दो भेद २६५ भाव २३५ | उत्कृष्ट स्थितिसंक्रम स्वामित्व २६५ अल्पबहुत्व २३५ जघन्य स्थितिसंक्रम स्वामित्व २६५ पदनिक्षेप प्रकृतिसंक्रम एक जीवकी अपेक्षा कालके दो भेद २६७ २६७ पदनिक्षेपके तीन अनुयोगद्वार उत्कृष्ट स्थितिसंक्रम काल २३६ २६८ समुत्कीर्तना जघन्य स्थितिसंक्रम काल २३६ स्वामित्व २७२ अन्तरानुगमके दो भेद २३७ उत्कृष्ट स्थितिसंक्रम अन्तर अल्पबहुत्व जघन्य स्थितिसंक्रम अन्तर वृद्धि प्रकृतिसंक्रम नाना जीवोंकी अपेक्षा भंगविचयके दो भेद २७५ वृद्धिके तेरह अनुयोगद्वार २३६ उत्कृष्ट स्थितिसंक्रम भंगविचय २७५ समुत्कीर्तना २३६ जघन्य स्थितिसंक्रम भंगविचय स्वामित्व २३६ भागाभागके दो भेद २७७ एक जीवकी अपेक्षा काल २३६ उत्कृष्ट स्थितिसंक्रम भागाभाग २७७ एक जीवकी अपेक्षा अन्तर व शेषकी सूचना २४० जघन्य स्थितिसंक्रम भागाभाग नाना जीवोंकी अपेक्षा भंगविचय २४० परिमाणके दो भेद नाना जीवोंकी अपेक्षा काल २४. उत्कृष्ट स्थितिसंक्रम परिमाण २७७ नाना जीवोंकी अपेक्षा अन्तर २४० जघन्य स्थितिसंक्रम परिमाण २७८ भाव २४० क्षेत्रके दो भेद २७८ अल्पबहुत्व उत्कृष्ट स्थितिसंक्रम क्षेत्र २७८ स्थितिसंक्रम जघन्य स्थितिसंक्रम क्षेत्र २७६ स्थितिसंक्रमके दो भेद २४२ स्पर्शनके दो भेद स्थितिसंक्रम और स्थितिअसंक्रमकी उत्कृष्ट स्थितिसंक्रम स्पर्शन २७६ व्याख्या २४२ जघन्य स्थितिसंक्रम स्पर्शन २८२ अपकर्षणस्थितिसंक्रमका स्वरूप २४३ नाना जीवोंकी अपेक्षा काल के दो भेद २८४ उत्कर्षणस्थितिसंक्रमका स्वरूप २५३ उत्कृष्ट स्थितिसंक्रम काल २८४ श्रद्धाच्छेदकी सूचना २६२ जघन्य स्थितिसंक्रम काल २८५ नाना जीवोंकी अपेक्षा अन्तरके दो भेद २८७ मूलप्रकृतिस्थितिसंक्रम उत्कृष्ट स्थितिसंक्रम अन्तर २८७ मूलप्रकृतिस्थितिसंक्रमविषयक अनुयोग जघन्य स्थितिसंक्रम अन्तर २८८ द्वारोंकी सूचना २६२ / भाव २७६ २४० २७६ २८८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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