Book Title: John Stuart Mil Jivan Charit
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Hindi Granthratna Karyalaya

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Page 13
________________ राष्ट्रोंकी सम्पत्ति ' नामकी पुस्तक मिलको पढ़ाई और उसमें जो जो भूलें थीं वे भी अच्छी तरहसे समझा दीं। __ इस समय जेम्स की शिक्षापद्धति बड़ी ही विलक्षण थी । वह ऐसा कभी नहीं करना था कि लड़केको किसी बातके समझनेमें कठिनाई पड़ी कि तत्काल ही उसे समझाकर उस कठिनाईको हल कर दिया। नहीं, उससे जहाँतक बनता था, वह प्रत्येक कठिनाईको हल करनेके लिये लड़केकी विचारशक्तिपर ही भार डालता था और उसीके मुँहसे उसका विवरण तथा समाधान सुननेकी चेष्टा करता था। यदि इतनेपर भी बालक अपनी शंकाका समाधान न सोच सकता तो फिर कुछ अप्रसन्न होकर समझा देता था। इस उत्कृष्ट शिक्षापद्धतिका ऐसा अच्छा परिणाम हुआ-मिलकी विचारशक्ति इतनी बढ़ गई कि वह अपने पिताके विचारों तकमें कभी कभी भूलें बतलाने लगा ! पर इससे उस निरभिमानी और सत्यपथप्रदर्शक पिताको कुछ भी खेद नहीं होता था-उलटा हर्ष होता था और वह बिना संकोचके अपनी भूलोंको स्वीकार कर लेता था। गृहशिक्षाकी समाप्ति और पर्यटन । ___ इस तरह लगभग १४ वर्षकी उम्रमें मिलकी गृहशिक्षाकी समाप्ति हुई । इसके बाद वह इंग्लेंड छोड़कर देशपर्यटनके लिये निकला और एक वर्ष तक सारे यूरोपमें घूमा। इस यात्रामें उसके अनुभव-ज्ञानकी बहुत वृद्धि हुई । पुत्रके यात्रासे लौटनेपर जेम्स मिल उसके विद्याध्ययनपर केवल देखरेख रखने लगा । अर्थात् अब उसकी यथानियम शिक्षा समाप्त हो गई और वह स्वतंत्रतापूर्वक इच्छित विषयों का अध्ययन करने लगा।

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