Book Title: John Stuart Mil Jivan Charit
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Hindi Granthratna Karyalaya

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Page 20
________________ फ्रान्ससे वापिस आनेपर जेम्सने उसे अपने बनाये हुए 'अर्थशास्त्रके मूलतत्त्व ' नामक ग्रन्थकी कापी दी और कहा कि तुम इसके 'साईड नोट्स ' लिख दो । एक पैरा ( Para ) में जो कुछ लिखा रहता है उसका सारांश बहुत ही थोड़े शब्दोंमें समझानेके लिये 'साइड नोट्स ' लिखे जाते हैं । इस प्रकारके नोट्स लिखनेमें बहुत परिश्रम करना पडता पड़ता है-बुद्धिको बहुत जोर लगाना पड़ता है और इससे नोट्स लिखनेवालेकी बुद्धिपर बहुत ही अच्छा संस्कार होता है । इन नोटोंके लिखवानेमें जेम्सका यही उद्देश था । इसके बाद जब मिलने फ्रान्सकी महान् राज्यक्रान्तिका इतिहास पढ़ा तबसे उसके हृदयपर प्रजासत्ताक राज्यपद्धतिका चिरस्थायी महत्त्व अंकित हो गया । कानून और बेन्थामके ग्रन्थों का अध्ययन । जेम्स चाहता था कि मेरा पुत्र बैरिस्टर हो, इसलिये पुत्रने सन् १४२२ में कानन पढनेका प्रारंभ किया। इसी समय वह बेन्थामके प्रन्थोंको भी जी लगाकर पढ़ने लगा। इससे उसके मनमे बेन्थामका स्थापित किया हुआ उपयोगितातत्त्व खूब ही जम गया । उसका विश्वास हो गया कि, इस तत्त्वका जितना अधिक प्रसार किया जायगा और इसके आधारसे नियमों और व्यवहारोंमें जितना सुधार किया जायगा, मानव जातिका उतना ही अधिक कल्याण होगा और उसके सुखोंकी उतनी ही अधिक वृद्धि होगी। उस समय मिलने यहाँ तक निश्चय कर लिया कि मैं अपनी सारी उम्र इसी तत्त्वके प्रचारमें व्यतीत करूँगा।

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