Book Title: John Stuart Mil Jivan Charit
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Hindi Granthratna Karyalaya

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Page 75
________________ हौआ खड़ा करना चाहिए। ऐसा करनेसे वे अपनी स्वाभाविक चिढ़को तो उस बड़े हौएपर निकाल लेगें और सामान्य विषयको चुपकेसे स्वीकार कर लेंगे। आयलैंडके भूमि-सम्बन्धी प्रश्नके विषयमें भी यही बात हुई । मिलने अपने निबन्धमें जो बात लिखी थी, वह तो अँगरेजोंको बहुत बड़ी मालूम हुई, परन्तु उसकी अपेक्षा किचित् ही छोटी ग्लैडस्टनके बिलकी बात उन्हें सामान्य मालूम पड़ी । इसलिए उन्होंने उसे सन् १८७० में स्वीकार कर लिया। ___ इसी अरसेमें मिलने एक और भी सार्वजनिक कार्य किया और इससे उसकी बहुत कीर्ति हुई । जमैका नामका एक टापू अँगरेजोंके अधिकारमें है । वहाँके निवासी हवशी कहलाते हैं । उन्होंने सरकारी जुल्मसे तंग आकर बलवा कर दिया और उसकी सजा उन्हें यह दी गई कि वहाँके गवर्नरसाहबने उनमेंसे सैकड़ों निरपराधी मनुष्योंको अपनी सेनाके द्वारा तमाम करवा दिया ! इतनेहीसे इस अन्यायकी समाप्ति न हुई। बलवा शान्त हो जानेपर पुरुष ही नहीं, अबला स्त्रियाँ तक चाबुकोंसे पिटवाई गईं और जिन इंग्लैंड निवासियोंने पहले गुलामी उठा देनेका पक्ष लिया था उन्होंने गवर्नरसाहबके इस पाशविक अत्याचारका अनुमोदन किया। इसके कुछ दिन पीछे जब कुछ लोगोंको इस नृशंस कृत्यसे दुःख हुआ तब उन्होंने 'जमैका कमेटी ' नामकी एक सभा स्थापित की। इसमें हर्बर्ट स्पेन्सर, ब्राईट आदि बहुतसे दयालु पुरुष शामिल हुए। मिलने भी इस संस्थामें योग देना उचित समझा । इस प्रयत्नका उद्देश केवल यही न था कि गरीब प्रजाको न्याय मिले किन्तु उसके साथ एक महत्त्वका काम यह भी था कि जो उपनिवेश ब्रिटिश सरकारके अधिकारमें हैं उनपर न्यायपूर्वक राज्य किया जाय, या वहाँके

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