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और कुछ भय या संकोच न करता। परन्तु इससे यह नहीं समझना चाहिये कि उसमें यह गुण था ही नहीं। नहीं, इसका एक कारण था । लड़केकी शिक्षाका सारा भार केवल उसके सिरपर था, इसलिये उसे जान बूझकर अपनी वृत्ति कुछ कठोर बनानी पड़ी थी । यदि वह ऐसा न करता तो उसकी शिक्षामें विघ्न आनेकी संभावना थी । यह ठीक है कि लड़कोंको थोड़ा बहुत "भय होना चाहिये, परन्तु अधिक भय दिखलानेसे हानि होती है । लड़कोंके जीमें जो नानाप्रकारके तर्क वितर्क उठते हैं उन्हें वे भयके कारण अपने शिक्षकोंके सामने प्रकट नहीं करते हैं। इससे उनके ज्ञानमें कमी रह जाती है। मिल भी इस हानिसे नहीं बचा।
ज्ञानवृद्धिके दूसरे द्वार । अर्थशास्त्रज्ञ रिकार्डो, तत्त्वशास्त्रज्ञ ह्यूम और धर्मशास्त्रज्ञ बेन्थाम* आदि कई नामी नामी विद्वानोंसे जेम्सकी मित्रता थी । इनके साथ उसकी अकसर शास्त्रीय चर्चा हुआ करती थी । मिलकी योग्यता इतनी हो चुकी थी कि वह उक्त चर्चाको समझ सके। इसलिये वह भी इस ज्ञानगोष्टीमें शामिल होता था और अपने ज्ञानकी वृद्धि करता था । उसके चरित्रपर भी इस चर्चाका अच्छा प्रभाव पड़ता था।
बेन्थाम मिलको बहुत चाहता था। उसका एक भाई फ्रान्सके फौजी महकमेमें नौकर था। जब वह अपने भाईसे मिलनेके लिये फ्रान्स गया तब मिलको भी अपने साथ ले गया । मिलको इससे बहुत लाभ हुआ। कई महीने एक विद्वानके साथ रहकर उसने बहुत कुछ अनुभव प्राप्त किया। जुलाई सन् १८२१ में वह वहाँसे लौट आया। .* उपयोगितातत्त्वका स्थापक भी यही बेन्थाम था।