Book Title: John Stuart Mil Jivan Charit
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Hindi Granthratna Karyalaya

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Page 17
________________ १३ विषयमें क्या क्या विचार किये गये हैं। इससे उसे जुदा जुदा धर्मोंका साधारण स्वरूप भी मालूम हो जाता था । ___ इंग्लैंडके उस युगमें और वर्तमान युगमें जमीन आसमानका फर्क है । इस समय यदि वहाँपर कोई ऐसी धार्मिक अश्रद्धाकी बात कहता है तो वह बिलकुल मामूली समझी जाती है । क्योंकि अब वहाँ विचार-स्वातंत्र्य पराकाष्ठापर पहुँच गया है । बल्कि अब तो वहाँ हृदयके इस प्रकारके विचारोंको छुपाना बहुत ही बुरा समझा जाता है । वहाँके निवासी समझते हैं कि यदि हम अपने विचारको समाजके भयसे प्रकट नहीं करेंगे तो अपने कर्तव्यसे च्युत हो जावेंगे। यही कारण है कि अब वहाँ बीसों संस्थाएँ ऐसी हैं जो ईसाई धर्मके. विरुद्ध विचारोंका प्रचार करती हैं । परन्तु वह युग ऐसा नहीं था । उस समय वहाँ कट्टर ईसाइयोंका खूब ही जोरो शोर था । धार्मिक बातोंमें यद्यपि वहाँके शिक्षितसम्प्रदायके विचार शिथिल हो चले थे. तो भी ऐसे बहुत कम विद्वान् थे जो अपनी शिथिलताको खुलमखुल्ला प्रकाशित कर दें। परन्तु जेम्स उस समय भी बेधड़क होकर कहता था कि मेरा किसी भी धर्मपर विश्वास नहीं है। बल्कि इस बातको वह छोटे छोटे लड़कोंके सामने कहनेमें भी नहीं हिचकता था। इससे पाठक समझ सकते हैं कि वह कितना साहसी और सत्यशील था । नैतिक शिक्षा । इस प्रकार यद्यपि मिलको धार्मिक शिक्षा नहीं दी गई थी और उसे किसी धर्मका अनुयायी बनानेका प्रयत्न नहीं किया गया था, तो भी उसके पिताने उसे नैतिक शिक्षा देनेमें कोई कसर नहीं रक्ती थी । न्यायपूर्वक चलना, परिमित खाना पीना, सत्य बोलना,

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