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नापसंद था कि उनमेंसे केवल चार ही सभासदोंने उसके अनुकूल मत दिया था। मिलका पाँचवाँ मत था।
मिलने अपने ' प्रतिनिधिसत्ताक-राज्यपद्धति ' नामक ग्रन्थमें एक जगह लिखा था कि " टोरीपक्षको हमेशासे ऐसे ही ( मूर्ख ) लोग मिलते रहे हैं और आगे भी ऐसे ही मिलते रहेंगे । अर्थात् यह हमेशा महामूरोंका ही पक्ष रहेगा । " एक बार टोरीपक्षके एक मुखियाने मिलके उक्त वाक्योंका उल्लेख करनेका प्रयत्न किया। परन्तु जनावको लेनेके देने पड़ गये । मिलका निरुत्तर होना तो दूर रहा उस दिन टोरीपक्षकी ऐसी मिट्टी पलीद की गई कि उस दिनसे उसका नाम ही ' मूढ़पक्ष ' पड़ गया और वह बहुत वर्षों तक प्रचलित रहा ।
जिस समय ग्लैडस्टन साहबका सुधारसम्बन्धी बिल पेश हुआ उस समय मिलने — मजदूरोंको मत देनेका अधिकार मिलना चाहिए । इस विषयमें एक बड़ा ही जोशीला व्याख्यान दिया ।
इसके कुछ दिन पीछे मजदूरोंने निश्चय किया कि इस विषयमें लंदनके 'हाइड पार्क' नामक विशाल चौकमें एक विराट् सभा करनी चाहिए। उस समय टोरी-प्रधानमंडल अधिकारारूढ़ था । उसने पुलिसके द्वारा इस बातका प्रबन्ध किया कि यह सभा न होने पावे । इससे मजदूर लोग चिढ़ गये और पुलिससे उलझ पड़े । मारपीट शुरू हो गई । बहुतसे निरपराधियोंको मार खानी पड़ी। उस समय तो सभा न होने पाई, परन्तु मजदूरोंने कुपित होकर यह निश्चय किया कि अस्त्र-शस्त्रसे सुसज्जित होकर फिर सभा करनी चाहिए। उधर प्रधानमंडलने फौजी अफसरको आज्ञा दी कि यह सभा हरगिज न होने पावे। लोगोंको भय हो गया कि अब शान्ति