Book Title: John Stuart Mil Jivan Charit
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Hindi Granthratna Karyalaya

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Page 38
________________ ३४ परिचय हुआ । इस समय मिल साहबकी उम्र २५ वर्षकी और उसकी २३ वर्षकी थी । टेलरके कुटुम्बियोंकी और मिलके बड़े बूढोंकी पुरानी जान पहिचान थी। इस समय उस जान पहिचानका इन दोनोंके द्वारा केवल पुनरुज्जीवन हुआ । यद्यपि पहली जान पहिचान होनेके बादसे इन दोनोंके गाढ़स्नेह होनेमें कई वर्ष लगे, तो भी मिलने यह बात बहुत जल्द समझ ली कि यह कोई सामान्य स्त्री नहीं है। दूसरी स्त्रियोंसे इसमें कुछ विशेषता और विलक्षणता है। इसका यह मतलब नहीं कि उसके जो विलक्षण बुद्धि, परिपक्व विचार और प्रगाढ़ ज्ञान आदि गुण पीछे प्रकट हुए वे सबके सब उस समय भी मौजूद थे । उस समय उनका केवल अंकुर दिखलाई देता था, जो धीरे धीरे बढ़ता गया और उस विशाल विटपके रूपमें परिणत हुआ जिसकी छायामें रहकर मिल जैसे तत्त्ववेत्ताने भी अपने ज्ञानको संस्कृत और परिष्कृत किया। टेलर यद्यपि ईमानदार, सभ्य और धैर्यवान् पुरुष था, तो भी उसमें अपनी स्त्री जैसी विलक्षण बुद्धि और अभिरुचि न थी। इतनेपर भी दोनों में प्रीतिकी कमी न थी । मिसेस टेलर अपने पतिको हृदयसे चाहती थी। उसका पूरा पूरा सम्मान करती थी। उसका यह प्रेम जब तक पति जीता रहा बराबर स्थिर रहा और जब उसका देहान्त हो गया तब उसने बहुत शोक किया। मिसेस टेलर इस विषयमें बहुत विचार किया करती थी कि राजनैतिक आर सामाजिक बातोंमें स्त्रियोंको पुरुषोंके समान अधिकार नहीं है, इसलिये वे अपने ऊँचेसे ऊँचे गुणोंको कार्यमें परिणत नहीं कर सकती हैं। उनको इस बातका मौका ही नहीं दिया जाता कि

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