Book Title: Jambu Gun Ratnamala
Author(s): Jethmal Choradia
Publisher: Jain Dharmik Gyan Varddhani Sabha

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Page 8
________________ Ju माला ढाल॥१ली चौपाईनी। जंबू द्वीप लख जोयण जान, मझा नगा द्वीप ऊर्द्धए मान । दिखणाढ़ खेत्र, भरत विस्तार। सादा पचीस देश आरज सार ॥१॥ राजग्रहे नाम नगरेसर । भू भामिनी मुख सोहे नकवंशर । राजवी श्रेणक नाम महाराज । सजन प्रजनरा सारे काज ॥२॥ न्याय नीत प्रति पाल गंभीर । शूरवीर गुण ग्राहक धीर । वेरी गंजन सयण कृपाल । तेज पुंज हरि रूप स्शाल ॥ ३॥ चेलणा देवी पाटवी नार । रूप अनूप सची अनुहार । श्रमण उपासक शील विख्यात । पति रंजन भंजन मिध्यात ॥४॥ तनुज मंत्री अभयकुमार । नंदा अंगज प्रिये दीदार । चारूं बुद्धि निधान प्रसिद्ध । राज धुरा डाहो बहु विद्ध ॥॥ चित्त दयाल धर्म में रक्त । गुणोदधि पिताजीरो भक्त । बचन वदे मृदु जैसे कीर । न्याय मुराल ज्युं कर पयनीर ॥ ६॥ रइत तणी रक्षा करे जेम । पिस्ता विदाम रीठंडी तेम । पुन्यवंत नर बहु लाज से । शाल कवर सा सुखिया वसे ॥ ७॥ तिण काले तिण समय मझार सासण पत विचरे सुखक र । गुण शील नाम मनोहर बाग। वीर पधारीया भवियां भाग ॥८॥ वन पालक नृप डोदी आय । दीधी बधाई हरख्यो राय । पहिरय। सो दिया गहणा वस्त्र । राज चिन्ह वरजीने शस्त्र ॥६॥ महीपति ताम अलंकृत थाय । चतुरंगणी सेना सजप्राय । मभु पद पंकज वंदण काज, चल आया श्रेणक महाराज ॥१०॥ पांच अभिगम सांचवि पैदा, वंदण कर प्रभु आगल बेठा । नगर लोक बहु त्रिगडा मे आया। दरसण करने आनंद पाया ॥ ११॥ जग गुरु तब उपदेश || भगतां । श्रोता एकाग्रह चित्त सुणतां । पुदगल रचना अथिरही जाणी । राचो मत तुम भवियण प्राणी ॥१२॥

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