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प्रस्तावना |
पाठक महाशय ! पूरे एक वर्षके पीछे हम अपनी प्रतिज्ञाको पूर्ण कर सके । अर्थात् जैनपदसंग्रह प्रथमभाग प्रकाशित करनेके एक वर्ष पश्चात् यह दूसरा भाग आपके सम्मुख उपस्थित करने में समर्थ हुए । इस भाग में ईसागढ़ निवासी कविवर भागचन्द्रजीके बनाये हुए पदोंका संग्रह है। उक्त कविवरके बनाये हुए और भी अनेक भजन सुने जाते हैं, परन्तु उनके प्राप्त करनेका कोई साधन न होनेसे हमको इतनेहीसे संतोष करना पड़ा है । दानवीर शेठ माणिकचन्द्रजीके पुस्तकालय में एक पदोंकी पोथी है, उसीपर यह भाग तयार किया गया है । दूसरी पुस्तकके अभासे इसके संशोधन करनेमें बहुत परिश्रम किया गया है, इतनेपर भी अनेक स्थान भशुद्ध और भ्रमपूर्ण रह गये हैं । आशा है कि आगामी संस्करण में यह त्रुटि दूर हो जावेगी । किसी पदमें अशुद्धि जान पड़े और उनका पाठान्तर स्मरण हो, तो सज्जन पाठकों को उसकी सूचना देनी चाहिये । वह सहर्ष साभार स्वीकार की जावेगी। इसके सिवाय जो महाशय कविवर भागचन्द्रजीके इन पदोंके अतिरिक्त अन्य भजन विनती आदि भेजने की कृपा करेंगे, उनके हम बहुत कृतज्ञ होगे, और धूमरा संस्करण छपने पर उन्हें प्रत्येक पदपर एक २ पुस्तक भेटमें भेज देंगे । परन्तु पुस्तक के कोमसे कोई महाशय किसी दूसरे कविके बदले " भागचन्द्र " की छाप डालकर भेजने की कृपा न करें ।
हमारी इच्छा थी कि पहले भागके समान इसे भी टिप्पणीसहित प्रकाशित करें, परन्तु संशोधन में अन्य पुस्तकोंकी सहायता न मिल सकने के कारण ऐसा न किया जा सका। हो सका तो आगमी संस्करणमें टिप्पणी लगा दी जायेंगी ।
मूल प्रति रागोंके नाम जिसप्रकार लिखे थे हमने उसीके अनुसार