________________
ये तीन ही ग्रन्थ अभीतक आपके बनाये हुए प्रसिद्ध हैं। इन ग्रन्थोंके पढनेसे आपकी सरल सरस और हृदयग्राही कविताका सहज ही अनुभव हो सकता है। पहले दो ग्रन्थ हमारे यहां छप चुके हैं और तीसरे भूधरविलासमेंका एक अंश यह प्रकाशित किया जाता है।
पदसंग्रह का चौथा भाग जिसमें कविवर द्यानतरायजीके पदोंका संग्रह है छप रहा है। पांचवें छठे भाग भी तयार करनेका प्रबन्ध हो रहा है । अलमतिविस्तरेण-८-६-०९ ई०। ।.
सरस्वतीसेवकनाथूराम प्रेमी।