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श्रीजिनाय नमः। पदसंग्रह-तृतीयभाग।
अर्थात् कविवर मृधरदासजीकृत भजनोंका संग्रह ।
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१. राग सोरठ। लगी लो नाभिनंदनसों । जपत जेम चकोर चकई, चन्द भरताकों ॥ लगी लो० ॥ १॥ जाउ तन धन जाउ जोवन, प्रान जाउ न क्यों। एक प्रभुकी भक्ति मेरे, रहो ज्योंकी त्यों ॥२॥ लंगी लो०॥और देव अनेक सेये, कछु न पायो हो । ज्ञान खोयो गांठिको, धन करत कुंवनिज ज्यां ॥३॥ लगी लो०॥ पुत्र मित्र कलत्र ये सब सगे अपनी गौं । नरककूपउद्धरन श्रीजिन, समझ भूधर यो ॥ ४ ॥ लगी लो० ॥
१ सुरा च्यापार. २ गरज.