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आदित्य और प्रिन्स को चाय बनाकर दे देगी। परंतु ऑफिस का समय होते ही आदित्य चाय के लिए सुषमा को उठाने आया। खुशबू अब तक सो रही है यह बात जानकर सुषमा को आश्चर्य हुआ और साथ ही गुस्सा भी आया तब - सुषमा : क्या बहू के आने के बाद भी घर का काम मुझे ही करना पड़ेगा? आदित्य : सुषमा यह तो तुम जानो और वो जाने। मुझे तो अपनी चाय से मतलब है।
अनिच्छा से सुषमा ने उठकर दोनों को चाय बनाकर दी। जैसे ही आदित्य और प्रिन्स ऑफिस के लिए निकले। वैसे ही खुशबू नहा-धोकर बाहर आई, उसके आते हीसुषमा : खुशबू, अब तुम पियर में नहीं ससुराल में हो। इसलिए उठने के समय का ध्यान रखा करो। खुशबू : मम्मीजी कल लेट सोई थी। इसलिए आज आँख ही नहीं खुली। सुषमा : यह तो अब रोज की बात होगी। शादी होने के बाद ससुराल के सभी सदस्यों को संभालने का कर्तव्य तुम्हारा है। तुम्हारी जिम्मेदारियाँ अब बढ़ गई है। तुम्हारे ससुरजी और प्रिंस 8 बजे ऑफिस चले जाते हैं उनके जाने से पहले उनके चाय-नाश्ते आदि सभी काम का ध्यान तुम्हें ही रखना है। इसलिए कल से उठने का ख्याल रखना।
सुषमा के इन शब्दों से खुशबू के दिल को गहरा आघात पहुँचा। वह किसी और ही सपने में थी परंतु सुषमा के शब्दों ने उसके सपनों को चूर-चूर कर दिया। उस वक्त तो वह चुप रही। परंतु उसके हृदय में सुषमा के प्रति असद्भाव के बीज का रोपण हो गया। इस प्रकार स्वभाववश सुषमा आए दिन खुशबू को छोटी-छोटी बातों पर टोकने लगी। और एक दिन - खुशबू : प्रिन्स ! शादी के बाद हम हनीमून मनाने नहीं गए। चलो ना थोड़े दिन कहीं घूमकर आते हैं। (प्रिन्स यह बात अपनी मॉम से पूछने गया) प्रिन्स : मॉम, मैं और खुशबू थोड़े दिनों के लिए कहीं घूमने जाना चाहते हैं। सुषमा : नहीं बेटा ! तुम्हारे पापा की तबियत इतनी खराब रहती हैं। तुम्हारे जाने के बाद ऑफिस का सारा लोड उन पर आ जाएँगा। एक काम करो, तुम थोड़े दिनों के बाद चले जाना। प्रिन्स : ठीक है मॉम।
__प्रिन्स ने जाकर सारी बात खुशबू को बताई। बात सुनकर खुशबू का मूड ऑफ हो गया। उसे लगा कि सासुमाँ को मेरी खुशी पसंद नहीं है। इसलिए उन्होंने ऐसा किया है। खुशबू के इन विचारों को