Book Title: Jainism Course Part 03
Author(s): Maniprabhashreeji
Publisher: Adinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi

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Page 217
________________ ।। श्री मोहनखेडा तीर्थ मण्डन आदिनाथाय नमः। श्री विश्वतारक रत्नत्रयी विद्या राजितं श्री राजेन्द्र-धन-भूपेन्द्र-यतन्द्रि-विद्याचंद्र सूरि गुरुभ्यो नमः त्रिवर्षीय जैनिज़म कोर्स खंड-3 लेखिका | ओपन-बुक परीक्षा पत्र ____Total 140 Marks . सा. श्री मणिप्रभाश्रीजी म.सा. नोट : नाम, पता, आदि भरकर लिखना प्रारंभ करें. सब प्रश्नों के उत्तर उत्तर पत्र में ही लिखें। उत्तर स्वयं खुद की मेहनत से पुस्तक में से ढूँढकर निकालें। खुद के श्रावकपणा की रक्षा के लिए नकल करने की चोरी के पाप से बचें। उत्तर साफ अक्षरों से लिखें तथा पुस्तक की फाईनल परीक्षा के समय उत्तर पत्र साथ में संलग्न कर दें। प्र.A रिक्त स्थानों कि पूर्ति कीजिए (Fill in the blanks) : 12 Marks 1. क्षायिक प्रीति से ........................ के गुण पैदा होते है। 2. पूर्वकाल में संस्कारी और शिक्षित माँ ही बालकों की...................... कहलाती थी। 3. कुमारपाल राजा एक साल में ................... सोनामोहर साधर्मिक भक्ति में खर्च करते थे। 4. ................. सूत्र में चारित्र धर्म की स्तुति की गई है। 5. कुंडल द्वीप ......... ....... योजन विस्तारवाला है। 6. डॉली तो सिर्फ शबाना और समीर की ऊँगलियों पर नाचनेवाली ...... ... बन गई थी। 7. जो आपको आपका. ................. सुधारना हो तो इस भव में पापों की शुद्ध आलोचना कर लेनी चाहिए। 8. सासु बेटी के साथ तो दिल से व्यवहार करती है पर बहुओं के साथ व्यवहार करने में ..............का __ उपयोग करती है। . 9. पटराणी की कुक्षि को ...................... की उपमा दी गई है। 10. आधी कच्ची पक्की ककडी म.सा. के लिए .......................... है। 11. रक्त और वीर्य के साथ माँ-बाप के ......... बालक में उतरते है। 12. ऊर्ध्वलोक में मेरुपर्वत .................. योजन हैं। प्र. B काउस में दिये गए उत्तर में से सही उत्तर ढूंढ कर रिक्त स्थानों की पूर्ति करें 12 Marks (भावना, विहायोगति, 2.92 लाख, इन्द्र, समता, साधु-साध्वी 56 दिक्कुमारी, आनुपूर्वी , संस्कृति, वात्सल्य, पदवीधर, 20,000, परस्पर सहयोग, सर्वज्ञ, 1 लाख, शहद-मक्खन, सहनशीलता, व्यंजन, पांच लाख, ईर्ष्या, चारित्र ) 1. झांझण शेठने कर्णावती से छःरी पालित संघ निकाला था उस संघ में .................. यात्रालु थे। 2. जीवन में रही वासना ................... में परिवर्तित हो जाती है।

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