Book Title: Jainism Course Part 03
Author(s): Maniprabhashreeji
Publisher: Adinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi

View full book text
Previous | Next

Page 223
________________ c) विधि लिखें। 2 Marks 1. वंदित्तु से लेकर सिद्धाणं-बुद्धाणं तक की देवसिअ प्रतिक्रमण की विधि लिखें। प्र. काव्य विभाग 1) स्तुति लिखों 1 Marks 1. चंदा तमे. ................... मारा तमे। b) चैत्यवंदन लिखें 4% Marks 1. विद्यमान................. वारंवार (अथवा) हुँ निर्भागी................. विलाप। 2. नाम .................... भरतार (अथवा) अभवी ने .... चकचूर। 3 वासुपूज्य.................... खास (अथवा) जय................... पामी। c) स्तुति (थोय) लिखें 44 Marks 1. समवसरण .. ............... गाजेजी (अथवा) पंच . ............. गाजजा (अथवा) पच........................ जगीशजी. 2. द्रव्य........ ....................... खन्त तो (अथवा) विमलगिरि ..............गिरिनामजी. 3. ज्योति ........................ इन्दाजी (अथवा) सकल ... .......... साधोजी. d) स्तवन लिखें 3 Marks 1. सुख..................... विसराम (अथवा) थाय .... ................ भावे वंदूं। 2. संघ..................... संहारता (अथवा) डुंगर निरखी .................... बंध। ८) सज्झाय लिखें 2 Marks ___ 1. परिग्रह नी .. ....... दूजा (अथवा) सहु कहे................ अजवालो नोट : भव आलोचना की पुस्तक भर कर उत्तर पत्र के साथ देना जरुरी है। गीतार्थ आचार्य भगवंत के पास उसकी आलोचना मंगवाकर आपको पुनः भिजवा दी जाएगी।


Page Navigation
1 ... 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230