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में थोड़ी देर क्या हो गई, मुझ पर तानों की बारिश शुरु कर दी। कहेंगे ही ना आखिर परायें घर की जो ठहरी (और जोर-जोर से रोने लगी) (बेचारे ससुरजी विधि की झूठी दलीलों के आगे अपनी सच्चाई पेश भी न कर सके। दक्ष की हालत तो घट्टी में पीसे जाने वाले दानें जैसी हो गई। उसके एक और कुँआ था तो दूसरी ओर खाई। न तो अपने पिताजी से कुछ कह सकता था और न अपनी पत्नी से। विधि की बात सुनने के बाद दक्ष तंग आकर वहाँ से चला गया। इस प्रकार अपने सास-ससुर से अलग होने के लिए विधि दक्ष के घर आते ही प्रतिदिन नए-नए झगड़े इस प्रकार रो -धोकर पेश करती कि दक्ष भी अपने माता-पिता से अलग होने के लिए मजबूर हो जाए। यदि कोई झगड़ा न होता तो रात में दक्ष को पूरे दिन की हिस्ट्री सुनाती। ऑफिस में क्लाइन्ट्स से माथापच्ची कर दक्ष थका-हारा इस उम्मीद से घर आता कि घर में उसे शांति मिलेगी। लेकिन विधि ने तो आकर उसके जीवन की शांति ही छीन ली थी। इन रोजरोज के टेन्शन से दक्ष पूरी तरह थक गया था और अब वह भी यही सोच रहा था कि या तो विधि मुझे छोड़कर चली जाये या मम्मी-पापा। सचमुच किसी ने ठीक ही कहा है कि आज कल बेटे, बेटे. नहीं, परंतु बाप बनकर जन्म लेते है। बहू-बहू बनकर नहीं परंतु सास बनकर घर में प्रवेश करती है। विधि ने भी कुछ ऐसा ही किया।) ___ एक बार दिन में झगड़े का कोई मौका नहीं मिलने पर रात को दक्ष के आते ही विधि ने अपनी राम कहानी शुरु कर दी-) विधि : आ गए आप। दक्ष : आ तो गया, पर तुम आज इतनी गुस्से में क्यों हो? विधि : गुस्सा नहीं करूँ तो क्या करूँ? आप पूरे दिन ऑफिस में रहते हो और यहाँ पर आपके बूढ़े माता-पिता के ताने मुझे अकेली को सुनने पड़ते है। आपको यदि मेरी चिंता होती तो कब का मुझे यहाँ से ले गए होते? दक्ष : लेकिन आज हुआ क्या, ये तो बताओ? विधि : पता है, आपकी मम्मी, पापा से कह रही थी बहू बहुत देर से उठती है। आज बहू ने गुस्से में हमारी सब्जी में नमक ज्यादा डाल दिया। बहू पियर जाकर अपनी निंदा करती है। महारानी बनकर आई हो ऐसा बर्ताव करती है। आपके मम्मी-पापा आस-पास के लोगों से भी मेरी बातें करते-फिरते हैं। जिसके कारण मेरा बाहर आना-जाना ही बंद हो गया है। घर में इनके ताने सुनों और बाहर जाओ तो लोगों के। आप ही बताओं क्या मैं इतनी बुरी हूँ। आप कुछ बोलते क्यों नहीं?