Book Title: Jainism Course Part 03
Author(s): Maniprabhashreeji
Publisher: Adinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi

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Page 206
________________ को जानकर निर्मला ने कहा - "निखिल ! पापा की तबियत खराब है और अब अस्वस्थता होने के कारण उनकी तबियत का कोई भरोसा नहीं है। पूरे दिन तो कुछ नहीं हम उनके साथ ही होते हैं। पर रात के वक्त उन्हें किसी चीज़ की जरुरत पड़ जाए तो? इसलिए मैंने सोचा है कि जब तक पिताजी की तबियत ठीक न हो जाये तब तक हम ब्रह्मचर्य का पालन कर पिताजी के पास सोएंगे।” निर्मला की बात सुनकर निखिल की आंखों में से आँसू आ गए वह कुछ नहीं कह पाया। विधि ! आगे जीवन में निर्मला को अपने पति का कितना प्यार और अपने ससुर के कितने आशीर्वाद मिले होंगे, यह कहने की जरूरत नहीं है। विधि सोचो अपना कर्तव्य निभाने के लिए यदि निर्मला ने इतना बड़ा बलिदान दे दिया। तो क्या तुम अपने सास-ससुर की सेवा के लिए किटी-पार्टी आदि छोटी-छोटी चीज़ों का बलिदान नहीं दे सकती। यदि तुम भी अपने कर्तव्यों का पालन करती तो शायद अपने सास-ससुर के हृदय से दूर नहीं होती और ना ही दक्ष के दिल से। ऊपर से संयुक्त कुटुंब से अलग होकर तुमने जो तकलीफें अपने हाथों से मोल ली है वो अलग। विधि : कैसी तकलीफें भाभी? मोक्षा : एक तकलीफ तो तुम प्रत्यक्ष ही देख रही हो कि दक्ष के झगड़े के कारण तुम्हारा मन हमेशा चिंतित रहता है और दूसरा जिसका समाधान तुम मेरे पास लेने आई हो। विधि : भाभी ये तकलीफ कोई संयुक्त कुटुंब से अलग होने के कारण थोड़ी न हुई है। मोक्षा : विधि ! तुम शायद अब तक मेरे कहने का आशय नहीं समझ पाई हो। देखो अपने सास ससुर से अलग होने का जो नुकसान तुम्हें हुआ है आज वह नुकसान तुम्हारी समझ से बाहर है। यदि वह नुकसान तुम्हें पता होता तो तुम कभी ऐसा गलत कदम नहीं उठाती। चलो मैं ही बताती हूँ कि तुमने क्या खोया और क्या पाया? (ऐसा कहकर जैनिज़म के तीसरे खण्ड़ में जयणा ने जो हितशिक्षा मोक्षा को दी थी वही हितशिक्षा मोक्षा ने विधि को दी। हितशिक्षा सुनकर). विधि : (रोते हुए) सचमुच अब मुझे अपने किए पर पछतावा हो रहा है। भाभी ! अब तो मैं अपनी गलती की माफी माँगने लायक भी नहीं रही। मम्मी-पापा से अलग होने के बाद आज तक मैं उनसे मिलने भी नहीं गई। मैंने अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारने का कार्य किया है। अब उनसे किस मुँह से माफी माँगुगी? मोक्षाः कोई बात नहीं। जब जागो तब सवेरा। तुम्हें अपने किए पर पछतावा हो रहा है यही बहुत बड़ी बात है। विधि : पर भाभी ! मेरे और दक्ष बीच में जो टकराव है उसे सुलझाये बिना, मम्मी-पापा को भी घर बुलाकर क्या फायदा? भाभी शादी के पूर्व मेरे और दक्ष के बीच के संबंध कितने अच्छे थे यह तो आप जानती हो। सिर्फ मेरी ही नहीं आम तौर पर सभी दम्पतियों की यही समस्या है कि सगाई के समय में रहा

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