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दक्ष : शट्अप विधि। अपनी जबान को काबू में रखों। इस घर में आने के बाद तुमने मम्मी-पापा को सिर्फ दुःख ही दिया है और इतना ही नहीं मेरे भी कान भर-भर के मुझे भी उनके विरुद्ध भड़काया है । छोटी-छोटी बातों को पहाड़ जितना करना तो कोई तुमसे सीखे। आए दिन किटी पार्टी में जाना, शॉपिंग करने जाना पैसे तो तुम्हारे लिए पेड़ पर उगते हैं। अपनी गलतियाँ तो तुमसे स्वीकार नहीं होती, और मुझसे उस दिन छोटी सी गलती क्या हो गयी, तुमने मिटिंग की बात को लेकर कितना बड़ा महाभारत खड़ा कर दिया था।
विधि : बस-बस ये पुरानी कहानी बंद करो। तुम, तुम्हारे माँ-बाप, तुम्हारा पूरा खानदान तो जैसे दूध में धूला है। दोषी तो मैं अकेली ही हूँ।
( गुस्से में दक्ष ने विधि को एक थप्पड़ लगाई )
दक्ष : खबरदार विधि ! मेरे खानदान तक जाने की कोई जरुरत नहीं है। पहले अपना देखो । विधि : तुमने मुझे थप्पड़ मारी। बस अब मैं तुम्हारे साथ एक पल भी नहीं रह सकती। मैं जा रही हूँ अपने घर।
दक्ष ; खुशी से ।
(एक पेपर के झगड़े ने दो दिलों की दरारों को इतना बढ़ा दिया कि विधि रुठकर अपने मायके चली गई। मायके आने के बाद विधि ने अपने घर में बीती हुई एक भी घटना किसी से नहीं कही। चार पाँच दिन तो ऐसे ही गुजर गये और फिर एक दिन विधि मोक्षा के कमरे में गई । )
विधि : भाभी मुझे आपसे बात करनी है।
( उसी समय सुशीला भी किसी काम से मोक्षा के कमरे में आ रही थी। बाहर से विधि और मोक्षा को बातें करते सुन सुशीला वही रुक गई और बाहर से ही दोनों की बातें सुनने लगी । )
मोक्षा : अरे विधि ! आओ-आओ बैठो बोलो क्या बात है ?
विधि : भाभी ! मुझे Abortion कराना है।
मोक्षा : (खुश होते हुए ) क्या तुम माँ बनने वाली हो ? ये तो कितनी खुशी की बात है। तुमने
अब तक किसी को कुछ बताया क्यों नहीं और ये तुम गर्भपात की बात क्यों कर रही हो? विधि : धीरे भाभी ! प्लीज़ मैं किसी को बताना नहीं चाहती क्योंकि मुझे यह बच्चा नहीं चाहिए। मोक्षा : विधि ! तुम गर्भपात क्यों करवाना चाहती हो, यह तो मैं तुमसे बाद में पूछूंगी पर क्या तुम्हें पता है गर्भपात यानि क्या? उसमें कितना पाप है ?
विधि : पाप किस चीज़ का भाभी। अभी तक गर्भ रहे हुए एक महिना ही तो हुआ है। वैसे भी