Book Title: Jainism Course Part 03
Author(s): Maniprabhashreeji
Publisher: Adinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi

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Page 191
________________ मोक्षा : विधि ! ये लो तुम्हारी कॉफी । क्या बात है विधि ! आज तुम बहुत टेन्शन में दिख रही हो ? विधि : हाँ भाभी | नेशनल प्रेक्टिकल कॉम्पिटीशन का अंतिम दौर नज़दीक आ रहा है। सेमी फाईनल में भी मुझे वॉर्निंग मिल गई है। मेरे सारे दोस्त चुने गए हैं। मैंने यह डिज़ाईन बनाई है। लेकिन यह डिज़ाईन जब मुझे ही पसंद नहीं आ रही है तो जज को क्या पसंद आएगी? मुझे नहीं लगता कि मैं इसके सहारे फाईनल में जीत पाऊँगी । दिमाग ही काम नहीं कर रहा है कि क्या करूँ ? मोक्षा : चलो ठीक है, विधि। पहले ये कॉफी पी लो। तुम फ्रेश हो जाओगी। (मोक्षा कॉफी देकर वहाँ से सीधे अपने रूम में अपने पति के लेपटोप पर डिज़ाईन बनाकर विधि के पास आई।) मोक्षा : विधि ! देखो तुम्हें ये डिज़ाईन कैसी लगी? ( डिज़ाईन देखते ही विधि की आँखों में चमक आ गई । ) विधि : वाह भाभी ! बहुत अच्छी है। आपने ये कहाँ से लाई ? मोक्षा : ये ही नहीं इससे भी अच्छी डिज़ाईन हम दोनों बैठे तो मिलकर बना सकते हैं। विधि : इसका मतलब ये डिज़ाईन आपने बनाई है। ग्रेट भाभी। मोक्षा : चलो विधि अब हम मिलकर कुछ अच्छा क्रिएट करते हैं। (दोनों उसी वक्त डिज़ाईन्स बनाने बैठ गई। अब मोक्षा भी अनुकूलता अनुसार घर का काम निपटाकर बचे हुए समय में विधि की मदद करने लगी। रात को भी दोनों देर तक बैठकर काम करते थे। ) मोक्षा : रुको विधि ! इसमें ये कलर मत डालो। ये बहुत ज्यादा लाइट है, एक काम करो बेबी - पिंक कलर डाल दो वैसे भी आजकल इस कलर की फेशन है। (थोड़ी देर में दोनों ने मिलकर अच्छी-अच्छी डिज़ाईनें बनाई ) मोक्षा : विधि ! वैसे मॉडल का स्कीन कलर क्या है? यदि वह सांवली है तो उस पर Light colour अच्छा लगेगा और यदि वह गोरी है तो ये Dark Colour उस पर अच्छा लगेगा। विधि : अरे हाँ भाभी ! मैंने तो कभी ये सोचा ही नहीं था कि ड्रेस का कलर मॉडल के स्कीन कलर पर आधारित होता है। (दोनों मन लगाकर काम करने लगे और अंत में जाकर उनकी डिज़ाईनें तैयार हो गई। अब विधि को भी मोक्षा की जरुरत महसूस होने लगी। वह अपने मन की हर एक बात मोक्षा से करती थी । 155

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