Book Title: Jainism Course Part 03
Author(s): Maniprabhashreeji
Publisher: Adinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi

View full book text
Previous | Next

Page 189
________________ गलती कर बैठी। पहले भी घर में प्रेम नहीं मिलने के कारण डॉली ने समीर के प्रेम को सब कुछ माना और आज तक पछता रही है और अब समीर से प्रेम नहीं मिलने के कारण जॉन की झूठी दोस्ती पर भरोसा कर बैठी। देखते है यह भरोसा अब डॉली को कहाँ ले जाता है। जॉन की चालाकी से अनजान डॉली उसको अपना फ्रेन्ड मानने लगी। अपने घर की सारी प्रॉब्लम्स जॉन को बताती। जॉन उसे हेल्प करता और इस तरह डॉली जॉन को अपना सबसे ज्यादा करीबी दोस्त मानने लगी। जॉन ने डॉली को ऑफिस वर्क के लिए एक मोबाईल गिफ्ट कर दिया। ऑफिस की छुट्टी के दिन जब जॉन घर पर बोर होता तो वह घंटों डॉली से फोन पर ऑफिस के काम का बहाना बनाकर बातें करता। अब डॉली रोज जॉन के साथ उसकी कार से ही घर आती। कभी-कभी डॉली और जॉन आपस में अपना टिफीन भी साथ मिलकर खा लेते। कहीं कोई अच्छी फिल्म लगी होती या किसी अच्छे पार्क में जाना होता तो दोनों साथ में चले जाते। कभी ऑफिस में ज्यादा वर्क होता तो जॉन डॉली का इंतजार करता। एक दिन सारे वर्कर्स अपना-अपना काम करके 8 बजे घर चले गए। वर्क ज्यादा होने से डॉली ऑफिस में अकेली ही काम कर रही थी। तभी जॉन अपने फ्रेण्ड की जन्मदिन की पार्टी से सीधा ऑफिस आया। जब उसे पता चला कि आज डॉली ऑफिस में अकेली है। तब वह सीधे डॉली के केबिन में चला गया। उस समय डॉली अपने केबिन में फाइल देख रही थी। जॉन अपने फ्रेण्ड की पार्टी में शराब पीकर आने से नशे में चूर था। वह डॉली के पास जाकर पीछे से गले लग गया। अचानक किसी को आया जानकर डॉली घबरा गई। उसने पीछे मुड़कर देखा तो जॉन को .देखकर वह आश्चर्य चकित हो गई। अपने आप को जॉन से छुड़ाकर डॉली खड़ी हो गई और जॉन से ....) डॉली : ये क्या कर रहे हो सर? जॉन : ओ डॉली। कम ऑन लेट्स एन्जॉय। डॉली : सर ! आप नशे में हो इसलिए आपको पता नहीं है कि आप क्या बोल रहे हो? जॉन : कम ऑन डॉली। आज तक इतने बाहर घूमे, पिक्चर गये कही पर भी इतना एकांत नहीं मिला। आज जब चान्स हाथ लगा है तो इसे क्यों छोड़ रही हो? (और जॉन ने डॉली का हाथ पकड़ लिया) डॉली : (घबराकर) सर साथ में घूमने का मतलब यह नहीं होता जो आप समझ रहे हो। मैं आपको अपना एक अच्छा दोस्त मानती हूँ। बस। जॉन : डॉली । तुम मुझसे दूर क्यों भाग रही हो? मेरे साथ रहोगी तो एशो आराम करोगी। आज तक जो खुशियाँ समीर ने तुम्हें नहीं दी वो सारी खुशियाँ मैं तुम्हें दूंगा और ये तुम्हारी

Loading...

Page Navigation
1 ... 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230