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जयणाः बेटा! यह तो हुई देह संबंधी बातें पर इसके अलावा भी गर्भकाल में माता जो भी कार्य करती है उसका बालक पर गहरा असर पड़ता है। जानती हो...
1.एक महिला सगर्भा बनी। उसके घर के सामने एक कसाई की दुकान थी। वह कसाई प्रतिदिन जिस समय बकरों को काटता उस समय वह महिला उसे देखती। समय पूरा होने के बाद उसने एक बालक को जन्म दिया। आठ वर्ष की उम्र में उसने अपने स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के साथ झगड़े में पाँच बच्चों को छूरी भोंककर मार डाला। जज के सामने उसे आरोपी बनाकर हाज़िर किया गया। जज को बहुत आश्चर्य हुआ। उसने बच्चे के बारे में सर्वांगीण छानबीन शुरु की। तब पता चला कि गर्भकाल में माता द्वारा देखे गये पशुओं के कत्ल के संस्कार गर्भ में पल रहे बालक पर भी पड़े और नतीजा यह क्रूर घटना घटी। ___2.विदेश में एक किस्सा बना। सगर्भा पुत्रवधू के पास उसके ससुर ने पिछले वर्षों के घर खर्चे का हिसाब माँगा। बहू ने ऐसा कोई व्यवस्थित हिसाब-किताब नहीं रखा था। वह असमंजस में पड़ गई। उसने अपने गर्भावस्था के उन नौ महिनों को हिसाब-किताब करने में लगा दिये। परिणाम स्वरुप उसने जिस बालक को जन्म दिया। वह उस देश का सर्वोत्कृष्ट गणित शास्त्री बना। . दिव्या : मम्मीजी! आपकी बात से यह तो साफ साबित होता है कि बच्चों के जीवन को बिगाड़ने या संवारने का पूरा श्रेय माता-पिता को जाता है। गर्भकाल के दौरान माता यदि अपने स्वभाव को अच्छा रखें तथा पिता भी उसमें अपना सहयोग दे तो भविष्य में बच्चा महान ही बनेगा इसमें कोई शंका नहीं। जयणा : तुमने बिल्कुल ठीक कहा बेटा! और अपने स्वभाव को अच्छा रखने के लिए तुमने सुना ही होगा "जैसा खाए अन्न वैसा हो मन”। इसलिए गर्भवती को अपने भोजन पर सदैव ध्यान रखना चाहिए।
1. वात-वायु कारक चनें, सेमी का बीज, चौला, मठ, टमाटर आदि तथा ठण्डे पदार्थ खाने से प्रायः बच्चे कुबडे, बामन, ठींगने पैदा होते हैं। ____ 2. पित्त कारक तीखे-खारे, खट्टे पदार्थों के सेवन से बच्चों के नेत्र शरीरादि पीले पड़ जाने की संभावना रहती है। . ___ 3. कफ कारक दही, गुड़, आईस्क्रीम आदि पदार्थों के सेवन से प्रायः बच्चे चितकबरे और पांडुरोग वाले पैदा होते हैं। भविष्य में उन्हें सफेद कोढ़ होने की संभावना रहती है।
4. गर्भवती स्त्री यदि अधिक नमक वाले खारे पदार्थ खाती है तथा आँखों में विशेष काजल