Book Title: Jainism Course Part 03
Author(s): Maniprabhashreeji
Publisher: Adinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi

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Page 175
________________ * पौआ-म -ममरा-सींगदाना तथा किशमिश आदि को छान-बिनकर ही उपयोग में लीजिए। * पूरे काजू का उपयोग न करें। क्योंकि काजू के अंदर की पोलाण (छिद्र) में लटे होने की संभावना रहती है। इसलिए उसके दो टुकड़े कर देखकर ही उपयोग करें। * घर में यदि कुछ मटके ज्यादा हो तो उनके मुँह पर कपड़े बांधकर रखें अन्यथा उसमें मकड़ी के जाल होने की संभावना है। * एक ही मटके में रोज पानी भरने से उसमें लील हो जाने की संभावना है। इसलिए हर 3-4 दिनों में मटके को बदलते रहें तथा पूर्व उपयोग किए हुए मटके अच्छी तरह सूका लें। * ग्लास से पानी पीने के बाद उसे पोंछ दें। झूठी ग्लास मटके में डालने से पूरे मटके के पानी में समूर्च्छिम जीव उत्पन्न हो जाते हैं। इसलिए पानी लेने हेतु एक अलग बर्तन (लोटा, जग ) रखने से समूर्च्छिम जीवों की विराधना से बच सकते हैं। * जलाने हेतु सूकी लकड़ी कोयला आदि का उपयोग करने से पहले प्रमार्जना (पूंजकर) ज़मीन पर ठपका कर देख ले कि कोई जीव तो नहीं है ? * आज छाना हुआ आटा आज ही उपयोग में लें, अगले दिन उपयोग करना हो तो उसे फिर से छानना चाहिए। आज का गूंथा हुआ आटा दूसरे दिन बासी होता है। * मुरब्बे की बरणी के मुँह पर एरंडी का तेल लगा देने से चीटियाँ नहीं आती। * जिस समय बिना लाईट या पंखे के काम हो जाता हो तो घर में या कमरे में प्रवेश करते ही हाथों का दुरुपयोग स्वीच पर न करें। Good Thoughts Remember the Past only if it gives Peace and Pleasure otherwise forget it. 2. Destroy Ego and Control Anger 3. 1. God never closes a door without opening a window. He always gives something better when he takes something away. 141

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