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डॉली - तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई... समीर.. । (डॉली अपनी बात पूरी करे इससे पहले ही समीर ने उसे जोर से धक्का दिया और वह गिर गई। गिरते ही डॉली के पेट में दर्द शुरु हो गया। वह दर्द के कारण जोर-जोर से रोने लगी।) डॉली : समीर .... प्लीज़ समीर मुझे डॉ. के पास ले जाओ। समीर, मुझे बहुत दर्द हो रहा है। (उसके दर्द की परवाह किए बिना नशे में चूर समीर ने उसे दो-तीन लात मारी और कहा...) समीर : चुप रहो। मेरे सारे अरमानों पर पानी फेर दिया तुमने। मैंने सोचा था कि तुम से शादी करूँगा तो मुझे मजे ही मजे। तेरे पियर से पैसे आते रहेंगे और मैं आराम से जिंदगी गुजारूँगा। पर तुमने तो मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी। अब और खर्चा करवाने पर तुली हुई हो।
(इस प्रकार नशे में समीर ने अपनी सारी हकीकत कह दी। दर्द के कारण डॉली बेहोश हो गई। कुछ अनहोनी न हो जाये इस डर से समीर उसे हॉस्पिटल ले गया। पर देर हो जाने के कारण उसका बच्चा बच नहीं पाया। बेचारी डॉली खुद तो कभी माँ का प्यार न पा सकी और जब उसे खुद माँ का प्यार देने का मौका मिला तो कुदरत ने वह मौका भी उससे छिन लिया। माँ-बाप का प्यार नहीं मिलने पर डॉली ने सोचा कि समीर मुझे इस जगत की सारी खुशियाँ देगा और उसके सहारे मैं अपना जीवन बीता लूँगी। लेकिन जब समीर ने भी उसे धोखा दे दिया तब उसके पास एक मात्र सहारा, उसके पेट में पल रहा बच्चा था, लेकिन समीर ने उससे वह सहारा भी हमेशा-हमेशा के लिए छिन लिया। अब उसके किस्मत में आँसू बहाने के सिवाय कुछ भी नहीं था। शबाना और समीर तो डॉली से उसकी तबीयत के बारे में पूछने भी नहीं आए। डॉली अकेली हॉस्पिटल में पड़ी रही। उसे कोई पानी पिलाने वाला भी नहीं था। बेड़ से उठ न सकने के कारण घंटे दो घंटे में कोई नर्स आती तो पानी पिला देती वर्ना ऐसे ही प्यासे रहना पड़ता।
ऐसी हालत में डॉली को अपने घर और मम्मी-पप्पा की बहुत याद आई। उसे लगा कि जब वह घर पर थी और उसका थोड़ा भी सिर दुखता तो माँ अपनी गोद में उसका सिर रखकर दबाती और आज उसकी ऐसी हालत में उसे कोई पानी पिलानेवाला भी नहीं हैं। उसे अपने किए पर बहुत पछतावा होने लगा। उसने मन ही मन निर्णय कर लिया कि वह अपने भूल की माफी अपने मम्मी पापा से माँगेगी और अपने पर बीती सारी बात उन्हें बता देगी। उसे विश्वास था कि उसकी ऐसी हालत देखकर उसके मम्मी - पापा उसे जरुर अपने पास बुला लेंगे। डॉली ने सोचा कि फोन कहाँ से करूँ? इतने में उसकी नज़र पास के टेबल पर पड़े समीर के मोबाईल पर पड़ी। उसने हिम्मत करके अपने घर का नम्बर लगाया। फोन सुषमा ने उठाया। महिनों बाद अपने माँ की आवाज़ सुनकर डॉली फोन पर ही जोर-जोर से रोने लगी।)