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'पढमे 'अणुव्वयम्मि, 'प्रथम 'अणुव्रत में 'थूलग 'पाणाइवाय 'विरईओ। 'स्थूल 'प्राणातिपात 'विरमण = स्थूल हिंसा से अटकने रुप "आयरिय 'मप्पसत्थे, इस पहले व्रत में 'अशुभ भाव एवं प्रमाद के निमित्त से 'इत्थ पमाय 'प्पसंगेणं।।।। जो कुछ विपरीत "आचरण किया हो।।9।। (वह इस प्रकार है-)
प्रथम अणुव्रत के पाँच अतिचार 'वह 'बंध 'छविच्छेए, मनुष्य, पशु आदि को चाबुक आदि से पीटना सांकल
आदि से बांधना, नाक, कान, पूंछ आदि शरीर के
अवयवों को छेदना। 'अइभारे भत्त-पाण-वुच्छेए पशु,नौकर आदि पर अधिक बोझा (भार) डालना,
समय पर खाने पीने को नहीं देना या कम देना। 'पढम वयस्सइआरे 'प्रथम व्रत के इन पाँच अतिचारों में से 'पडिक्कमे देसि सव्वं ।।10।। दिन में लगे सब अतिचारों का 'मैं प्रतिक्रमण करता हूँ।।10।। 'बीए 'अणुव्वयम्मि, 'द्वितीय अणुव्रत में परिथूलग 'अलिय वयणविरईओ। 'स्थूल मृषावाद की विरति=बड़े झूठ से अटकने रुप "आयरिय 'मप्पसत्थे, इस व्रत में 'अशुभ भाव एवं प्रमाद के निमित्त से 'इत्थ पमाय 'प्पसंगेणं।।11।। जो कुछ विपरीत "आचरण किया हो।।11।। (वह इस प्रकार है)
द्वितीय अणुव्रत के पांच अतिचार 'सहसा रहस्स दारे. "बिना विचारे किसी पर कलंकारोपण करना किसी की गुप्त बातें
प्रगट करना, अपनी स्त्री की गुप्त बात प्रगट करना, Pमोसुवएसे अ 'कूडलेहे ॥ "झूठी सलाह देना और झूठा लेख लिखना 'बीयवयस्स 'इआरे, दूसरे व्रत के इन पाँच अतिचारों में से पडिक्कमे 'देसिअं 'सव्वं||12|| 'दिन में लगे 'सब अतिचारों का 'मैं प्रतिक्रमण करता हूँ।।12।।