________________
जाओगी। अब ज्यादा मत सोचो, जाओ अपनी पैकिंग करो। मैं केतन को चाय देकर तुम्हारी हेल्प करवाने आती हूँ। (इतना कहकर सुषमा किचन में गई और चाय-नाश्ता ले आई) सुषमा : केतन ! तुम चाय-नाश्ता करो। मैं अभी आती हूँ (सुषमा खुशबू के पास गई। ) सुषमा : खुशबू ! यह लो तुम्हारे पियर के लिए कुछ चॉकलेट्स और यह 5 हज़ार रुपये तुम्हारे पास रखो। खुशबू : पर मम्मीजी इन पैसों की क्या जरुरत है? सुषमा : बेटा ! अपने पास रखो, कहीं बाहर जाओ और कुछ पसंद आ जाये तो खरीद लेना।
इस प्रकार सुषमा ने खुशबू को पियर भेजकर धीरे-धीरे खुशबू के मन में अपने लिए सद्भाव जगाने की कोशिश करने लगी। वह समय-समय पर खुशबू की तबियत के बारे में पूछने के लिए उसे फोन किया करती। प्रिन्स को भी रोज खुशबू से मिलने के लिए भेजती। इस प्रकार चार दिन बाद खुशबू संपूर्ण स्वस्थ होकर वापस ससुराल आई और आते ही - प्रिन्स : खुशबू तुम्हारे लिए एक बहुत बड़ी खुशखबरी है। . . खुशबू : क्या प्रिन्स? प्रिन्स : यह देखो। (इतना कहकर प्रिन्स ने खुशबू के हाथ में कुछ दिया।) खुशबू : Wow ! हम दोनों के मलेशिया जाने के टिकट्स वो भी पूरे 10 दिनों के लिए। (कुछ देर बाद) पर क्या प्रिन्स आपने मॉम से पूछा? प्रिन्स : अरे खुशबू मैं तो हनीमून की बात ही भूल गया था। यह तो मॉम ने ही मुझे याद दिलाया
और मलेशिया जाने की आईडिया दी। (यह सुन खुशबू के आश्चर्य का पार न रहा। प्रिन्स और खुशबू दोनों घूमने गये। अब धीरे-धीरे खुशबू के मन में भी अपनी सासुमाँ के लिए प्रेम जगने लगा। हनीमून से घर आने के बाद अब खुशबू भी एकदम बदल गई। अब वह सुषमा को कुछ भी काम नहीं करने देती थी और अब दोनों के बीच के संबंध भी अच्छे हो गए। इतने में एक और घटना घट गई। जिसके बाद सुषमा और खुशबू के बीच माँ-बेटी जैसे संबंध हो गए। एक दिन -) प्रिन्स : खुशबू । क्या हुआ? क्या ढूँढ रही हो? इतनी टेन्शन में क्यों दिख रही हो? खुशबू : प्रिन्स हमारी शादी में मम्मीजी ने मुझे जो सात हज़ार की नथनी दी थी। वह मिल नहीं रही है। सुबह से ढूँढ रही हूँ। मम्मीजी पूछेगी तो क्या जवाब दूंगी।