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जनविद्या
1. लोककथा या पौराणिक कथा पर आधारित । 2. युद्ध तथा प्रेम का सुन्दर चित्रण । 3. अतिशयोक्तिपूर्ण व कल्पनाश्रित घटनायें । 4. साहसिक समुद्रयात्रायें। 5. अलौकिक व अति प्राकृतिक शक्तियों का चित्रण । 6. अन्तर्कथायें। 7. शांतरस या अध्यात्म रस का प्राधान्य । 8. वैवाहिक सम्बन्ध । 9. संधियों में विभाजन । 10. मंगलाचरण, काव्य-लेखन-प्रयोजन, विषयवस्तु, पूर्व कवियों का उल्लेख,
प्रशस्ति ।
11. कथाशैली। 12. नगर, हाट, जलक्रीड़ा, वाद्य आदि का वर्णन ।
चरितकाव्य की इन सामान्य विशेषताओं के आधार पर हम जंबूसामिचरिउ में निम्नलिखित कथानक-रूढ़ियों को खोज सकते हैं
1. मंगलाचरण । 2. सज्जन-दुर्जन, सुकवि-प्रकवि वर्णन । 3. पूर्वकवि प्रशस्ति, काव्य-रचना का उद्देश्य, विषयक्रम प्रादि । 4. जम्बूस्वामी की माता के पांच स्वप्न और उनका फलकथन । 5. श्रेणिक के साथ मृगांक पुत्री विलासवती के विवाह होने की भविष्यवाणी । 6. नागदेवियों द्वारा चंग को पाताल-स्वर्ग में ले जाना। 7. तंत्र-मंत्र-औषधि का प्रयोग कर स्तम्भित करना। 8. सागरदत्त मुनि के दर्शन मात्र से शिवकुमार को संसार से वैराग्य हो जाना । 9. पूर्वभव परम्परा का वर्णन । 10. भवदेव के विवाहोत्सव में सहसा मुनिसंघ का आगमन और उसका अनिच्छुक
होकर भवदत्त के साथ जाना । 11. पत्नि के पास भवदेव का आगमन, पथ-विचलन तथा पत्नि के उपदेश से
पुनरारूढन । 12. धर्मोपदेश व संवाद। 13. वैराग्योत्पत्ति के विविध कारण।