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जैनविद्या
वेसं दरिद्दं परवसरणम्मरणं सरसकव्वसव्वस्सं । कबीरसरिसपुरिसं धरणिधरंती कयत्यासी ॥ हत्थे चाश्रो चरणपणमणं साहुसोत्तारण सीसे । सच्चावारणी वयणकमलए वच्छे सच्चापवित्ती ॥
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जंबुस्वामीचरित्र 18
राजमल्ल कवि ने संस्कृत भाषा में जम्बूस्वामीचरित्र की रचना की । कवि ने अपनी अन्य कृति लाटीसंहिता में अपना प्रल्प परिचय दिया है, तदनुसार ये काष्ठासंघी भट्टारक हेमचन्द्र की आम्नाय के थे । नेमिचन्द्र शास्त्री के अनुमानानुसार ये गृहस्थ या ब्रह्मचारी रहे होंगे मुनि नहीं 119
संहिता की प्रशस्ति के अनुसार उन्होंने यह काव्य 1641 वि. सं. ( 1584 ई.) की आश्विन दसमी रविवार को पूर्ण किया था । 20 अतः उनका समय ईसा की सोलहवीं शती का उत्तरा मानना चाहिए । जम्बूस्वामीचरित्र इससे पूर्व वि. सं. 1632 में लिखा जा चुका था । प्रशस्ति के अनुसार राजमल्ल ने आगरा में रहकर साहु टोडर की प्रेरणा से उक्त काव्य की रचना की थी ।
राजमल्ल प्रतिभासम्पन्न विद्वान् भक्तकवि थे, उनकी निम्न कृतियां उपलब्ध हैंजम्बूस्वामीचरित्र, लाटीसंहिता, पञ्चाध्यायी, पिंगलशास्त्र, अध्यात्म - कमलमार्तण्ड |
जम्बूस्वामीचरित्र के 13 सर्गों में 2400 पद्य हैं। इसमें आगरा का अत्यधिक सुन्दर चित्रण हुआ है । पूर्व के चार सर्गों में जम्बू के पूर्वभव और बाद के सर्गों में चरित्र वरिणत है । सुन्दर सूक्तियों का समुचित समावेश है । उपदेश तत्त्व की बहुलता है । सभी रसों, छन्दों श्रीर गुणों का सुन्दर समायोजन हुआ है । युद्धक्षेत्र का एक वर्णन द्रष्टव्य है
प्रस्फुरत्स्फुरदत्त्रौघाः भटाः संदर्शिताः परे ।
प्रौत्पात्तिका इवानीला सोल्का मेधाः समुत्थिताः ।। करवालं करालाग्रं करे कृत्वाऽभयोऽपरः । पश्यन् मुखरसं तस्मिन् स्वसौन्दयं परिजज्ञिवान् ।
जम्बूस्वामीचरित 7.104 105
जम्बूस्वामीचरित
भट्टारक सकलकीति का जम्बूस्वामीचरित संस्कृत भाषा में उपलब्ध होता है । सकलकीर्ति ने अनेक संस्कृत और हिन्दी पुस्तकों की रचना की है। हरिवंशपुराण की प्रशस्ति में ब्रह्मजिनदास ने इन्हें महाकवि कहा हैं । 21 इनका जन्म 1326 ई. में हुआ । इनके पिता का नाम कर्मसिंह और माता का नाम शोभा था । ये हूंबड़ जाति और प्रणिहलपुर पट्टन के रहनेवाले थे । सन् 1406 में उन्होंने नैरगवां नामक स्थान में भट्टारक पद्मनन्दि से दीक्षा ली । उन्होंने बलात्कारगण ईडर शाखा का प्रारम्भ किया 1 22 डॉ. प्रेमसागर के अनुसार ये प्रतिष्ठाचार्य भी थे । उन्होंने मन्दिर बनवाकर प्रतिष्ठायें करायीं 123