Book Title: Jain Vidya 05 06
Author(s): Pravinchandra Jain & Others
Publisher: Jain Vidya Samsthan

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Page 154
________________ 148 जैनविद्या 5. डॉ. गंगाराम गर्ग-एम.ए., पीएच. डी., डी.लिट. की उपाधि हेतु शोधरत । अनेक शोधपत्रों के लेखक । प्रवक्ता, हिन्दी विभाग, महारानी श्री जया कॉलेज, भरतपुर । इस अंक में प्रकाशित निबन्ध-जंबूस्वामिचरिउ में रस-योजना । सम्पर्क सूत्र-110 ए, रणजीत नगर, भरतपुर, राज. । 6. डॉ. छोटेलाल शर्मा-एम.ए., पीएच. डी., डी. लिट्. । लेखक व सम्पादक । सौन्दर्य शास्त्र, भाषाशास्त्र एवं अपभ्रंश के विशेषज्ञ । प्रोफेसर, हिन्दी विभाग, वनस्थली विश्वविद्यालय । इस अंक में प्रकाशित निबन्ध-महाकवि वीर का समीक्षा सिद्धान्त । सम्पर्क सूत्र-12, अरविन्द निवास, वनस्थली विश्वविद्यालय, वनस्थली, जिला-टौंक, राजस्थान । 7. डॉ. (श्रीमती) ज्योति जैन-एम.ए., पीएच. डी.। इस अंक में प्रकाशित निबन्ध जंबूस्वामीचरित विषयक जैन साहित्य की सहयोगी लेखिका। सम्पर्क सूत्र-130, बड़ा बाजार, खतौली-251201, उ. प्र. । 8. डॉ. जयकिशन प्रसाद खण्डेलवाल—एम.ए. (संस्कृत, हिन्दी, अंग्रेजी, भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व तथा अर्थशास्त्र), एल.एल.बी., साहित्यरत्न, साहित्यालंकार, पीएच. डी. (हिन्दी) । लेखक एवं सम्पादक । अध्यक्ष, संस्कृत विभाग, राजा बलवन्तसिंह कॉलेज, आगरा । इस अंक में प्रकाशित निबन्ध-महाकवि वीर और उनका जंबूसामिचरिउ-एक समीक्षात्मक अध्ययन । सम्पर्क सूत्र-6/240, बेलनगंज, आगरा-4, उ. प्र.। 9. श्री नेमिचन्द पटोरिया-एम.ए., एल.एल.बी., साहित्यरत्न । लेखक, अनुवादक एवं समालोचक । मानद शोध सहायक, जैनविद्या संस्थान श्रीमहावीरजी । इस अंक में में प्रकाशित निबन्ध-जंबूसामिचरिउ प्रकाशित निबन्ध-जंबूसामिचरिउ छवि-भली संवारी वीर कवि । सम्पर्क सूत्र-जनविद्या संस्थान श्रीमहावीरजी-322220, राज. । 10. डॉ. (श्रीमती) पुष्पलता जैन–एम. ए. (हिन्दी एवं भाषाविज्ञान) । पीएच. डी (हिन्दी व भाषाविज्ञान) लेखिका प्रवक्ता-एस. एफ. एस. कॉलेज, नागपुर । इस अंक की कथानक सृष्टि और हिन्दी काव्य परम्परा । सम्पर्क सूत्र-न्यू एक्सटेंशन, सदर, नागपुर, महाराष्ट्र । 11. सुश्री प्रीति जैन-एम. ए., प्राचार्य (जैनदर्शन)। प्रकाशन सहायक, जनविद्या संस्थान श्रीमहावीरजी, जयपुर । इस अंक में प्रकाशित निबन्ध-जम्बूसामिचरिउ के वैराग्य प्रसंग । सम्पर्क सूत्र-1130, महावीर पार्क रोड, जयपुर-302003 । 12. पं. भंवरलाल पोल्याका-साहित्यशास्त्री, प्राचार्य (जनदर्शन)। सम्पादक, लेखक व समालोचक । पाण्डुलिपि सर्वेक्षक, जनविद्या संस्थान, श्रीमहावीरजी। इस अंक में अप्रकाशित अपभ्रंश रचना-बुद्धिरसायण ओणमचरितु के अनुवादक । सम्पर्क सूत्र-566, जोशी भवन के सामने, मनिहारों का रास्ता, जयपुर-302003 ।

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