Book Title: Jain Vidya 05 06
Author(s): Pravinchandra Jain & Others
Publisher: Jain Vidya Samsthan

View full book text
Previous | Next

Page 156
________________ 150 जैनविकार जनविद्या (शोध-पत्रिका) . सूचनाएं 1. पत्रिका सामान्यतः वर्ष में दो बार प्रकाशित होगी। 2. पत्रिका में शोध-खोज, अध्ययन-अनुसंधान सम्बन्धी मौलिक अप्रकाशित रचनामों को ही स्थान मिलेगा। 学学生学专业学学教学中学生学学会学学多多学家多多多多多多 3. रचनाएँ जिस रूप में प्राप्त होंगी उन्हें प्रायः उसी रूप में प्रकाशित किया जायगा। स्वभावतः तथ्यों की प्रमाणिकता आदि का उत्तरदायित्व रचनाकार का रहेगा। 4. रचनाएँ कागज के एक ओर कम से कम 3 से. मी. का हाशिया छोड़कर सुवाच्य अक्षरों में लिखी अथवा टाइप की हुई होनी चाहिये । 5. रचनाएँ भेजने एवं अन्य सब प्रकार के पत्र-व्यवहार के लिए पता सम्पादक जैनविद्या महावीर भवन सवाई मानसिंह हाइवे जयपुर-302003

Loading...

Page Navigation
1 ... 154 155 156 157 158