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जनवि
29. जैन डॉ. प्रेमसागर, हिन्दी जैन भक्तिकाव्य और कवि,
55 1
पृष्ठ
30. शाह अंबालाल, जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, वाराणसी, पृष्ठ 186 । 31. जैन डॉ. प्रेमसागर, हिन्दी जैन भक्ति काव्य और कवि, पृष्ठ 125 । 32. जैन डॉ. प्रेगसागर, हिन्दी जैन भक्ति काव्य और कवि, पृष्ठ 333
33. शास्त्री नेमिचंद्र, ती. म. प्र. प., भाग 4, पृष्ठ 281।
34. शास्त्री नेमिचंद्र, ती. म. प्रा. प., भाग 3, पृष्ठ 275
35. इसकी प्रति और लेखक के परिचयार्थ देखिये -
कासलीवाल डॉ. कस्तूरचन्द्र, महाकवि ब्रह्मरायमल्ल एवं भट्टारक त्रिभुवनकीर्ति, महावीर ग्रन्थ अकादमी, जयपुर, 1978 ।
36. वही, पृष्ठ 269 ।
37. संवत सोल पंचदीसि, जवाछ नयर मकार । भुवन शांति जिनवर तणि, रच्यु रास मनोहार || 38. पट्टे तदीये गुणवान् मनीषी क्षमानिधाने भुवनादिकीर्तिः । जीयाच्चिरं भव्यसमूहवंद्यो नानायतिव्रातनिष्वेणीयः
— जम्बूस्वामीरास 677
11
- रामचरित्र (ब्रह्मजिनदास कृत), श्लोक 185 ।
39-40. शास्त्री नेमिचन्द्र, ती. म. ग्रा.प., भाग 3, पृष्ठ 336-337
41. शास्त्री पं. के. भुजबली और जोहरापुरकर विद्याधर, जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, वाराणसी, 1981, भाग 7, पृष्ठ 213 I
42. बही, पृष्ठ 217
43-44. जैन पी. सी., भट्टारकीय ग्रन्थ भण्डार नागौर का सूचीपत्र, भाग 3, जयपुर, 1985, पृष्ठ 127, ग्रन्थ संख्या 3802 ।
45. जिनरत्नकोष, पूना, 1944 ई., पृष्ठ 129 तथा 132 ।
46. शास्त्री नेमिचन्द्र, ती. म. ग्रा. प., भाग 4, पृष्ठ 322।
47. चौधरी डी. गुलाबचन्द्र, जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग 6, पृष्ठ 154–155।