Book Title: Jain Shasan Samstha ki Shastriya Sanchalan Paddhati Author(s): Shankarlal Munot Publisher: Shankarlal Munot View full book textPage 9
________________ • जिनाजा परमो धर्मः . जैन शासन संस्था शास्त्रीय संचालन पद्धति जयति जगदेकमंगल मपहतनिश्शेषदुरित धनतिमिरम् । रविबिम्ब मिव यथास्थित-वस्तुविकाशं जिनेशवचः ॥ भावार्थ : जगत में श्रेष्ठ मंगल स्वरूप, सूर्य की तरह संपूर्ण पाप रूप गाढ़ अन्धकार को दूर करने वाला और यथार्थ रूप से वस्तु के स्वरूप को बतलाने वाला श्री तीर्थकर देव का वचन जयवंत है । * श्री जैन शासन * श्री तीर्थकरदेव स्थापित तीर्थ संस्था का संक्षिप्त दिग्दर्शन १. उद्देश्य-श्री तीर्थकरोपदिष्ट शाश्वतधर्म ज्ञानाचार, दर्शनाचार, चारित्राचार, तपाचार, और वीर्याचार, रूप पंचाचा रात्मक मोक्षमार्ग के पालन की सुलभता। २. नाम-जैन शासन, तीर्थ-धर्मतीर्थ, प्रवचन-धर्मशासन आदि नाम से शास्त्रों में प्रसिद्ध है। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.comPage Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64