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श्री जैन शासन संस्था
परिशिष्ट २ श्री शत्रुञ्जय तीर्थ को पुनीत छाया में सिद्धिक्षेत्र पालीताणा में विराजमान श्री श्रमण संघ के निर्णयों का पहला और तीसरा निर्णय :
श्री सिद्धक्षेत्र पालीताणा में विराजमान समस्त जैन श्वेताम्बर श्रमण संघ ने वि० सं० २००७ वैशाख सुदी ६ शनिवार से वैशाखी सुदी १० बुधवार तक प्रतिदिन दुपहर में बाबू पन्नालाल की धर्मशाला में एकत्रित होकर विक्रम सं० १९९० में राजनगर में हुए अखिल भारतवर्षीय श्री जैन श्वेताम्बर मुनि सम्मेलन में "धर्म में बाधाकारी राज्यसत्ता के प्रवेश को यह सम्मेलन अयोग्य मानता है" इस ग्यारहवें निर्णय पर पूर्वापर विचारणा करके सर्वानुमति से निर्णय किया।
(१) यह श्रमण संघ मानता है कि वर्तमान सरकार धर्मादा ट्रस्ट बिल, भिक्षाबन्धी, मध्यभारत दीक्षा नियमन, मन्दिर में हरिजन प्रवेश और विहार रिलीजीयस एक्ट आदि नियम बनाकर धर्म में अनुचित हस्तक्षेप करती है। वह योग्य नहीं, ऐसा करने का सरकार को कोई अधिकार नहीं। विदेशी सरकार थी उस समय भी जो हस्तक्षेप नहीं हुआ था वह भारतीय सरकार को तरफ से होवे, यह अत्यन्त अनिच्छनीय बात है । तीसरा निर्णय :
यह श्रमण संघ मानता है कि जैनों की जो जो संस्थाए सात क्षेत्र, धर्मस्थान, मन्दिर, उपाश्रय आदि है वो प्रत्येक अपनेअपने अधिकार माफिक श्रमण प्रधान चतुर्विध संघ को मालिको की है। उनके वहीवटदार वर्ग श्री श्रमण संघ के शास्त्रीय आदेश
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