Book Title: Jain Shasan Samstha ki Shastriya Sanchalan Paddhati
Author(s): Shankarlal Munot
Publisher: Shankarlal Munot

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Page 35
________________ श्री जैन शॉसन सस्था २७] है और उच्च कक्षा के जीव के लिए समर्पण हुआ द्रव्य उतरती कक्षा के काम में आ सकता है । कारण उच्च कक्षा वाला जीव उदार और अधिक शक्तिमान् समर्थ है इससे बड़े उच्च कक्षा वाले जीव का कत्र्तव्य है कि वह छोटे जीव की सहायता एवं रक्षा करे । ४. सदाव्रत :- - (अ) धार्मिक वात्सल्य - ब्रह्म भोजन आदि गुणी के सम्मान बहुमान - भक्तिपूर्वक का भोजन है । (आ) भक्ति के पात्र में अनुकम्पा नहीं हो सकती । (इ) अनुकम्पा वाले पात्र में भक्ति न होवे । द्वात्रिंशद्वात्रिंशिका ग्रन्थ के आधार से 15 Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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