Book Title: Jain Shasan Samstha ki Shastriya Sanchalan Paddhati
Author(s): Shankarlal Munot
Publisher: Shankarlal Munot

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Page 61
________________ श्री जैन शासन संस्था ५३ ] १२. सामायिक, पौषध में पत्रिका (मेग्जीन ) अखबार - समाचार पत्र बिल्कुल नहीं पढ़ा जाता । १३. सामायिक, पौषध में घड़ी (वाँच) निकाल लेवें, नहीं पहन सकते । १४. सामायिक, पौषध पूजन आदि के वस्त्र बिल्कुल स्वच्छ रखना । १५. प्लास्टीक अशुद्ध द्रव्य होने से प्लास्टीक की नवकार वाली उपयोग में नही ले सकते । १६. नवकारवाली हाथ में नहीं पहिन सकते, चरवला या जेब में नहीं रख सकते, डिब्बी अथवा बटुवे में रखना । १७. सामायिक, प्रतिक्रमण में नवकार, पंचिदिय सूत्र अथवा सम्यक ज्ञान की पुस्तक सम्मुख हो तो हो नवकार - पंचिदिय द्वारा गुरु स्थापना करना । अक्ष के स्थापनाजी सम्मुख होवे तो गुरु स्थापना करना आवश्यक नहीं । १८. सामायिक, पौषध पारने में हाथ खुल्ला (उल्टा ) चरवला पर रखना । पञ्चववरण पारते समय मुठ्ठी बांधना । १९. उपवास, एकासपा आदि पच्चक्त्वाण में खड़े पैर रखकर पानी नहीं वापर सकते । २०. विवासणा, एकासना, आयंबिल, आदि स्थिर (नहीं हिलेडूले ऐसा) पाटले पर थाली रखकर ही होता है । २१. श्रावक, साधू को अम्भुट्टिआ खाने, साध्वी को मात्र मत्वरण वंदामि कहे । २२. श्राविका साधू-साध्वी दोनों को अहमुष्ठिओ खामे । २३. ज्ञान पूजा करते सयम पहले ज्ञाम पर वासक्षेप करना ( चढ़ाना), फिर थाली में रुपये पैसे रखना । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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